फरसाडी (पलतीर क्लब)

''''''जलम''''''(जन्म)

''''''जलम''''''(जन्म)


जलम लेकि जलम्यां मनखि टपराणा रंदिन ।

भगवान कैल द्याखा पर वैथै मनाणा रंदिन ।।


दिनम पोतळ राति जोगण कमाणा बान ।

कुंगळु सरैळ भतोड़ि गात सळ्याणा रंदिन ।।


दुख विपदौं घनघोर दगडु रैंद सब्युंक जोग ।

जो भागम हूंद वी ह्वालु सुद्दि घबराणा रंदिन ।।


छुयूँ छुयूँ मा छुंवीं कभि पुरेन्दि नि छन लाटा ।

अफि अफ लोग भागी कन बबड़ाणा रंदिन ।।


द्विदिना जिंदगी उपिरि फिर माटा चीज माटम ।

फिर्बि निरसा अणमिला लोग फफराणा रंदिन ।।


जो खैरि खै कि कणट कै कि दिन बिताणा ।

वीत दुन्यम आण जाणा खाता चलाणा रंदिन ।।