सम्मान

बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित


ना चाह थी

ना आस थी

जिंदगी बस बर्बाद थी


कभी आह पे

कभी शाख पे

प्रश्न उभरे हर ख्याल पे


कभी दूर हूँ

कभी पास हूँ

बस नजरों से परेशान हूँ


थोड़ी मीठी सी

थोड़ी खारी सी

चटपटी भेल लाजवाब सी


मुश्किलों घिरा हुआ

टूटा हुआ थोड़ा जुड़ा हुआ

बस हौसलों संग लगा हुआ


लड़ रहा हूँ

बस सम्मान के लिए

फिर जीत हो या हार हो


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