उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -55
उत्तराखंड परिपेक्ष में सकिन/सकीना की सब्जी , औषधीय उपयोग,अन्य उपयोग और इतिहास
उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 13
उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --55
उत्तराखंड परिपेक्ष में सकिन/सकीना की सब्जी , औषधीय उपयोग,अन्य उपयोग और इतिहास
उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --55
आलेख : भीष्म कुकरेती
Botanical name-Indigofera pulchella. I.heterantha
उत्तराखंडी नाम -सकिन , सकीना
नेपाली नाम -सखीनो
हिंदी नाम -फर्सी घास
कोंकणी नाम -चिमनाती
दुर्ग मध्य प्रदेश -घिरघोली
प्राप्ति स्थान -हिमालय में पाकिस्तान , कश्मीर से लेकर भूटान तक व दक्षिण चीन याने चीनी हिमालय में 300 -1700 मीटर तक पायी जाने वाली झाडी। इसकी ऊंचाई 2 -6 मीटर ऊंची होती है। इसके अतिरिक्त Indiofera cassioides (चिमनाती ) कोंकण (महाराष्ट्र के समुद्र तटीय ) , गोआ , व उत्तरी कनारा (कर्नाटक ) की पहाड़ियों में भी उगता है। सकीना झाडी मध्य प्रदेश के दुर्ग, छतीस गढ़ , झारखंड में भी पाया जाता है।
सकीना के अर्क /जड़ों तने के कई भागों का खांसी , छाती के दर्द , आंत में सूजन में दवाई के रूप में भी प्रयोग होता है।
चरक संहिता में सकीना के औषधि विरोचन हेतु प्रयोग लिखा गया है .
कैय्यदेव , भावप्रकाश , राज निघण्टुओं में सकीनाके गुण व प्रयोग का उल्लेख मिलता है। का गन
सकीना की मातृभूमि या जन्मस्थल north west Tibet हिमालय माना जाता है। अत: सकीना का प्रयोग उत्तराखंड मे तीन हजार साल के करीब या पहले हो चुका होगा।
सकीना की कलियों की सब्जी
कलियों को तने से तोड़कर पानी से धो लें।
कढ़ाई में तेल गरम करें। जख्या /जीरा तड़के।
कलियों को थोड़ा भूनें और नमक , मसाले मिलकार , थोड़ा सा पानी मिलकार पकाएं।
ऐसा भी सूचना है कि कलियों की तरीदार सब्जी भी बनती है।
मुझे यह भी बताया गया है कि आटे के साथ मिलाकर या उड़द के मस्यट के साथ मिलाकर पकोड़ी भी बनती हैं।
Copyright @ Bhishma Kukreti 10 /11/2013