कुछ अलग उत्तराखंड

उत्तराखंड लौटकर किसान ने उगाया ७ फिट ऊंचा धनिया

उत्तराखंड के गोपाल ने बागवानी खेती से रचा इतिहास, सेब से खूब कमाई करने के साथ ही उगायी छह फीट की धनिया

उत्तराखंड के एक किसान ने जैविक तरीके से खेती करके मिसाल कायम की है। दरअसल वह जैविक तरीके से सेब आदि उगाकर सफल किसान के तौर पर साबित हुए। वह सालाना करोड़ों का कारोबार करते हैं। दिल्ली में नौकरी छोड़कर उत्तराखंड के गोपाल उप्रेती रानीखेत में बल्खेड़ गांव लौट आए। जहां वह आज जैविक खेती करते हैं।

साल 2016 से वह जैविक खेती करते हैं। इस बीच जैविक तरीके वह सफल बागवानी की किसानी करते आ रहे हैं। हाल ही में उन्होंने छह फीट एक इंच लंबी धनिया उगायी जिससे वह च्रर्चा में एक बार फिर से आ गए हैं।

वह जैविक ( ऑर्गेनिक ) तरीके सेब की बागवानी करते हैं इसके अलावा एवोकैडो, आडू और खुबानी आदि की भी बागवानी कर रहे हैं। वह एक सफल बागवानी किसान के तौर पर अब उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपना नाम कमा रहे हैं।

वह सफल किसान के तौर पर खेती की तस्वीर को बदला हुआ देखना चाहते हैं उनका मानना है कि खेती को और अच्चे तरीके से पेश किया जाए। खेती को और सकारात्मक तरीके से करता हुआ दिखाया जाना चाहिए। किसान के बेटो और बेटियों को इंग्लिश बोलते हए दिखें और किसान भी अच्छी और बड़ी गाड़ियों में दिखे तो और अच्छा हो जाए।

आज जब लाखों युवा खेती को नजरअंदाज़ करते हैं तो ऐसे में गोपाल जैसा उदाहरण यह साबित करता है कि यदि इरादे बुलंद हों तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। वाकई गोपाल की कहानी कुछ यही कह रही है वह दिल्ली की नौकरी छोड़कर अपने गांव को एक नया मॉडल गांव बनाने की होड़ में जुटे हैं। तो ऐसे युवाओं को सीख लेनी चाहिए जो रोजगार की तलाश में हैं। क्योंकि यदि आधुनिक तरीकों से खेती की जाए तो फिर वह भी मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है।

अल्मोड़ा के विकास खंड ताड़ीखेत के विल्लेख गांव में एक प्रगतिशील किसान ने आपके खाने का ज़ायका बढ़ाने वाले धनिया उत्पादन में रिकॉर्ड बनाया है.

प्रगतिशील किसान गोपाल उप्रेती अपने सेब उद्यान में धनिया, लहसुन और केल (सलाद पत्ता) उत्पादन करते हैं. उद्यान विभाग के निरीक्षण में पता चला कि गोपाल उप्रेती के खेत में धनिया के पौधों की ऊंचाई ७ फीट तक पहुंच गई है.

गोपाल उप्रेती ने बताया कि पूरे उद्यान में फलों, सब्ज़ियों, मसालों और सलाद पत्ता (केल) की खेती पूर्णतया जैविक विधि से की जा रही है.

वैज्ञानिकों को इस जैविक खेती के परिणाम काफी उत्साहवर्धक लगे.

निरीक्षण के दौरान VPKS Almora के वैज्ञानिक डॉक्टर गणेश चौधरी, CHO Almora टीएन पाण्डेय, प्रभारी उद्यान अधिकारी इन्द्र लाल उपस्थित थे. इन्होंने ७ फ़ीट का धनिया का पौधा नया रिकॉर्ड हो सकता है.

गोपाल ने दिखाई राह

रिवर्स पलायन करने वालों को गोपाल ने दिखाई राह, सेब बागान व जैवकि खेती से संवार रहे भवि‍ष्य

रानीखेत के गोपाल का सेब बागान तो फूल-फल रहा ही है उन्‍होंने बागान में ही धनिया लहसुन व मौसमी सब्जियों की जैविक खेती भी शुरू कर दी है।

मुश्किल वक्त ही हमें एक सीख भी देता है। आगे बढऩे की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो परिस्थितियां देर-सबेर अनुकूल हो ही जाती हैं। कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद दिल्ली में कारोबार बंद कर पहाड़ लौटे एप्पलमैन गोपाल उप्रेती ऐसा ही संदेश दे रहे हैं। रोजी-रोटी का संकट बढऩे पर बाहरी राज्यों से अपने गांवों को लौटे करीब 30 हजार से ज्यादा युवाओं को गोपाल की कृषि बागवानी स्वरोजगार की समृद्ध राह दिखा रही है। गोपाल का सेब बागान तो फूल-फल रहा ही है, बल्कि अब बागान के बीच ही धनिया, लहसुन व मौसमी सब्जियों की जैविक खेती भी लहलहा रही है।

मूल रूप से रानीखेत के सुदूर बिल्लेख गांव (ताड़ीखेत ब्लॉक) निवासी एप्पलमैन गोपाल उप्रेती लॉकडाउन के चलते दिल्ली से लौट आए हैं। दिल्ली में प्रापर्टी कारोबार से जुड़े रहे गोपाल का माटी से मोह कहें या अभावग्रस्त पहाड़ में कुछ करने का जज्बा, 2016 से उन्होंने तैयारी शुरू कर दी थी। गोपाल ने 2016 में 'मिशन एप्पल' के तहत करीब 70 नाली क्षेत्रफल में सेब का बगीचा विकसित किया था। जो उत्तराखंड में मॉडल बना। इधर, कोरोना महामारी की मुश्किल घड़ी ने अब उन्हें एक अवसर दे डाला। वह गांव लौट आए मगर मायूस नहीं बैठे। पहाड़ में ही रहकर माटी को सींच अपने तकदीर संवारने के साथ-साथ दूसरों को भी प्रेरणा दे रहे हैं।

एप्पलमैन गोपाल ने मल्टीपल इंटरक्राप के तहत बागान में सेब के पेड़ों के बीच फरवरी में धनिया, लहसुन, पालक आदि की जैविक खेती भी शुरू की है। धनिये की बढिय़ा पौध हुई है। गोबर खाद की खुराक से लहसुन की पौध भी बंपर पैदावार का संकेत दे रही। अब आगे वह मौसमी सब्जियों के उत्पादन के लिए बीज, जैविक खाद एवं खेतों को तैयार कर रहे हैं।

वापस लौटे युवा ले रहे सुझाव

मिसाल बने गोपाल से बाहरी राज्यों से लौटे युवा कृषि बागवानी के गुर सीखने लगे हैं। लॉकडाउन में घर से ही फोन के जरिये गोपाल उन्हें मल्टीपल इंटरक्रॉप की तकनीक, बाजार एवं स्वरोजगार की महत्ता समझा रहे हैं। गोपाल बता रहे हैं कि पहाड़ लौटने के बाद अब युवा आधुनिक तरीके से खेती पर जोर दें। स्यालदे, मानिला, रानीखेत एवं आसपास से तमाम युवा इस महासंकट से उबरने के बाद बगीचे में पहुंच प्रशिक्षण के लिए भी तैयार हैं। वहीं पड़ोसी गांव मुसोली के बंशीधर यहां से प्रेरणा ले कृषि बागवानी को विस्तार देने जा रहे हैं।

जैविक सेब से दिल्ली तक जमाई धाक

राज्य में एप्पलमैन की पहचान बना चुके गोपाल उप्रेती ने पिछले सीजन में सेब की बंपर पैदावार कर दिल्ली तक धाक जमाई थी। ढाई सौ रुपया प्रतिकिलो की दर से उन्नत जैविक सेब उन्होंने बेचा था। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी बिल्लेख की विविध प्रजातियों वाले सेब खरीद गोपाल की मेहनत को सराहा था ।गोपाल उप्रेती 'एप्पलमैन बिल्लेख गांव ने बताया कि कोरोना महामारी ने देश दुनिया की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित कर दी है। दिल्ली, महाराष्ट्र, उप्र व अन्य राज्यों से उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन वाले करीब 30 हजार से अधिक युवाओं के लिए यह बड़ा संकट है। इन युवाओं को खेती से जुड़कर आजीविका के साधन तलाशने होंगे। ऐसा नहीं है कि पहाड़ में कुछ नहीं हो सकता। मेहनत की जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं। मेरा लक्ष्य अगले पांच साल में समूचे बिल्लेख को मॉडल गांव बनाना है।