गौं गौं की लोककला

लंगूर संदर्भ में गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला - 1

बरसुड़ी (लंगूर ) की लोक कलाएं व कलाकार

लंगूर संदर्भ में गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला - 1


लंगूर संदर्भ में गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला - 1

(चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )

संकलन - भीष्म कुकरेती

बरसुड़ी लंगूर का एक महत्वपूर्ण गाँव है स्थान नामसे इंगित होता है कि यह स्थान खस -द्रविड़ काल से ही चिन्हांकित हो चुका था। लंगूर भैरों, द्वारीखाल निकट ही हैं। प्रदीप शाह युग में अवश्य ही इस गाँव ने गोरखाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभई होगी व कई त्रास भी भुगते होंगे।

बरसुड़ी के कुकरेती जसपुर ढांगू से माइग्रेट हुए थे व दो लोक कथाएं भी प्रसिद्ध हैं। बरसुड़ी से कुकरेती द्यूसी मनियारस्यूं माइग्रेट हुए। रजकिल , कुटळी , पटळी सीमावर्ती गाँव हैं। गढ़वाल के अन्य क्षेत्र समान ही यहाँ की लोक कलाएं बीसवीं सदी के अंतिम भाग तक विद्यमान थीं। अब बदलाव ा गए हैं।

बरसुड़ी (लंगूर ) में निम्न कलाएं व कलाकार प्रसिद्ध हुए हैं -

लोहार , ओड - रद्दु , कुत्ता। पंचमु , मूसा

बढ़ई - जयचंद कुकरेती

ढोल वादक, मसुकबाज व दर्जी - गुलाम , , असिलु दास , बुदासी

पठळ खान - गुदड़ी

निसुड़ निर्माण कौशल्य - सुखदेव कुकरेती , रगबहादुर सिंह , फतेह सिंह

मंदर - फते सिंह

बांस कला , सुनारगिरि , टम्टागिरि हेतु , - अन्य गांव पर निर्भर

झरखंडी - आदित्यराम

सर्यूळ /पाक कला - टेकराम कुकरेती , सुखदेव कुकरेती

पंडित - श्रीकृष्ण कुकरेती , सच्चिदा नंद कुकरेती , रवि दत्त कुकरेती , आदित्यराम कुकरेती

वैद्य - वीमखांद गाँव के गुर दयाल डोबरियाल

कुकरेतियों के ब्राह्मण - डुं डयख के देवरानी - योगेश्वर प्रसाद

तिबारी -बालादत्त , कलीराम कुकरेती की प्रसिद्ध थीं

सूचना आभार - बरसुड़ी के उदयराम शर्मा कुकरेती ,

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