आओ मेघा वर्षा दो जल।
आओ मेघा वर्षा दो जल।
सूख रहा धर्ती का आंचल।।
उमड-़ घुमड़ नभ नर्तन कर दो।
तप्त वायु को शीतल वर दो।।
शहर छोड़कर लौटा हूं तब।
कोविड का प्रकोप बढ़ा जब।।
रोजगार है चला गया सब।
खेती पर मैं निर्भर हूं अब।।
नहीं शहर फिर जाना चाहूं।
सदा गाँव में रहना चाहूं।।
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रचनाकार: जयपाल सिंह रावत
संतनगर बुराड़ी दिल्ली 110084
बजट खैंचणो
बजट खैंचणो बानु चैंदा
हर कहे तैै अपुणु
तजबिजौ राज चैंदा.
रौंस ही रौंसम
कट्या जिन्दगी
हल्कु सी काम चैंदा.
लुट्या सैरि दुन्या
अपुणु फैदै ही फैदा. बजट खैंचणो..........
ताकमा रखणौ
कानून कैदा
एक लाल बत्ती
गाड़ी पर हूंण चैंदा . बजट खैंचणो.........
उर्याद्याओ कौथिग
माइक हूँण चैंदा
नेतौं दगड़ फोटू
खैंचेण चैंदा. बजट खैंचणो बानु चैंदा
हर कहेतै अपुणु
तजबिजौ राज चैंदा.
COPYRIGHT Jaipal Singh Rawat
मैं लाम में जा रहा हूं
मैं लाम में जा रहा हूं प्रिये ऊर्ध्व छू ले तिरंगा तभी शान है।
हो संकटों में घिरी मात्रभू जान दे भी बचा लूं वही मान है।
जाना पड़ेगा तुम्हें छोड़ के है लगी दाँव पे देश की आन है।
वो जो बहा खून मारूं उसे मैं बचेगा तभी आज ईमान है।।1।।
वो तो दगा दे रहा रोज ही आमने-सामने झूठ है बोलता।
फैला दिया रोग है जान के बाँट दी मौत पत्ते नहीं खोलता।
शंका सभी को उसी देश पे क्यों हुई आज संसार है डोलता।
बेचैन जो लोग हैं क्रोध में खून है चीन को देख के खौलता।।2।।
जयपाल सिंह रावत
सर्वाधिकार सुरक्षित
चित्र फेसबुक से साभार