कभी लगता है ऐसे

बालकृष्ण डी ध्यानीदेवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित


कभी लगता है ऐसे

कोई ढूंढे मुझे भी

पढ़कर कभी कोई

(कोई खोजे मुझे भी )... २

(कभी लगता है ऐसे ) ... २


बिखरा पड़ा हूँ

उलझा पड़ा हूँ

राहों में अकेला

पन्नों जैसा उड़ता पड़ा हूँ

(कभी आये कोई तो )... २

(कभी लगता है ऐसे ) ... २


मेरा ही घर है

मुझ से जुदा है

मेरा ही वजूद है .

खुद रूठा पड़ा है

(कभी कोई मनाये कभी तो )... २

(कभी लगता है ऐसे ) ... २


थोड़ी फुर्सत तो दे दो

थोड़ा कुछ और वक्त दे दो

गिनता पड़ा हूँ

इन्तजार बैठा पड़ा हूँ

(कभी कोई आस दिलाये कभी तो )... २

(कभी लगता है ऐसे ) ... २



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