गौं गौं की लोक औरृ कला
मनियार स्यूं संदर्भ में गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला - 1
मनियार स्यूं संदर्भ में गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला - 1
भटकोटी (मनियार स्यूं ) की लोक कलाएं व कलाकार
भटकोटी (मनियार स्यूं ) की लोक कलाएं व कलाकार
मनियार स्यूं संदर्भ में गढ़वाल की लोक कलाएं व भूले बिसरे कलाकार श्रृंखला - 1
(चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )
संकलन - भीष्म कुकरेती
मनियार स्यूं में बसा बेहड़ा खाळ , जखनोली , द्यूसी की सीमा पर लगा भटकोटि गाँव की अपना वैशिष्ठ्य है। कला दृष्टि से कला , शिल्प , व कलाकार की सूचना इस प्रकार है -
लोहार , ओड , पगार चिनायी , बढ़ई व अन्य कई शिल्प - बंसी लाल , सिरमटु , गयळु व अब उनके उत्तराधिकारी
गारुड़ी /झड़खंडी /मंयत तंत्र शास्त्री, जागरी - व बक्की - सत्य प्रकाश भट्ट , सुंदरू , राजू , भगतु
स्वर्णकार व कोळी (प्राचीन काल में मदिरा निथारण ) - शिब्बू कोळी सूबेदार कोळी ब्वाडा
ढोल वादन व वस्त्र निर्माण - द्यूसी के गुणा दास
मसुकबाज - गयळू
घट्ट/घराट - कोटनालाओं का घट्ट , व तीन गाँवों का सार्वजनिक घराट
मंदर निर्माण, कुल्हड़ (तेल पेरना ) , की सूचना प्रतिक्षीत है
गेंहू आदि से वर्तन /भण्डारीकरण हेतु बर्तन निर्माण लगभग सभी घरों में होता था
रेशे (भ्यूंळ , भांग , रामबांस ) आदि से लगभग प्रत्येक परिवार न्यार बटते थे व खटला , रस्सी, म्वाळ आदि बनाते थे
उर्ख्यळ , छज्जा , जंदरु , सिलबट्ट आदि हेतु दूसरी पट्टी पर निर्भर (पैडळस्यूं ) .
भ्यूंळ की टोकरियां गाँव में ही बनतीं थी , बांस टोकरी कंटेनर्स हेतु दुसरे गांव पर निर्भर
सामूहिक नाच गान , स्वांग - लगभग सभी महिलाएं व पुरुष (चैत महीने व अन्य धार्मिक अनुष्ठान समय ) , मंगळेर में सरजू बोडी थपलियाल प्रसिद्ध।
कर्मकांड , ज्योतिष विशेषज्ञ - मायाराम थपलियाल , जनार्दन थपलियाल , विशेश्वर भट्ट (व्यास , भी थे ) .
सर्यूळ /पाक कला विशेषज्ञ - थपलियाल जाति से परम्परागत
भटकोटि के भट्टों के कर्मकांडी ब्राह्मण - बंगानी के थपलियाल
रामलीला कलाकार - जगदम्बा भट्ट , स्वयंबर भट्ट , जगदीश थपलियाल , ललित थपलियाल, चित्रमणि भट्ट
विदूषक व रामलीला में अन्य मनोरंजन में - दैषण के महेश नंद नैथानी
मंदिर - बालकुंवारी , शिवाला व भैरव
अध्यापक - चंडी प्रसाद भट्ट
साहित्यकार व भाषाविद - पार्थसारथी थपलियाल
बादी असवालस्यूं के थे
अयेड़ी , मच्छी मारक कला, मुर्गा मारक कलाएं आदि थीं अब समाप्ति के कगार पर
तिबारियां - जनार्दन थपलियाल , जागरी भट्ट ख्वाळ , मायाराम , कोटनाला ख्वाळ
निकटम प्राचीन बाजार - बांघाट
निकटतम धार्मिक स्थल - व्यासचट्टी
सूचना आभार : कांती भट्ट बड़थ्वाल (तैड़ी )
Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020
Folk Arts of Maniyarsyun , Garhwal ,Folk Artisans of Maniyarsyun , Garhwal ; मनियार स्यूं गढ़वाल की लोक कलायें , मनियार स्यूं गढ़वाल के लोक कलाकार