बिच्छू बूटी या कंडाली

कंडाली या बिच्छू बूटी (stinging nettle)वैज्ञानिक नाम Urtica dioica

दोस्तों स्वागत है आज हम जानेंगे उत्तराखंड के एक मशहूर पोधे के बारे मे जिसे यहाँ की स्थानीय भाषा मे कंडाळी या बिच्छू बूटी भी कहा जाता है । तो चलिए जानते हैं इस पोधे के बारे मे ।

अगर आप हिमालय क्षेत्र से हैं या कभी गये है तो उम्मीद है कि आप इस पौधे के बारे में जरूर जानते होंगे ।

यह पौधा पूरी तरह से बारीक बारीक और नुकीले कांटों से भरा हुआ होता है कांटे इतने बारीक होते है कि कभी कभी ऐक बार देखने से दिखाई नहीं देते और अनजान आदमी उन कांटों का शिकार हो जाता है । इन बारीक और नुकीले कांटो मे (acetylcholine, histamine 5-HT और (formic acid ) का मिश्रण होता है इस मिश्रण के वजह से इस पौधे को बस छूने मात्र से जबरदस्त झनझनाहट और खुजली होती है। और शरीर मे दाने निकल आते है ।

जिस तरह का दर्द हम बिच्छू के डंक मारने पे महसूस करते है कुछ इसी तरह का दर्द इस पौधे को छूने मात्र से होता है इसी लिए इसे बिच्छू बूटी कहा जाता है ।

उत्तराखंड मे इसे बाल सुधार औषधि के नाम से भी जाना जाता है ।

क्योंकि इस पोधे का उपयोग स्थानीय लोग अपने बच्चों को सुधारने के लिए भी करते है ।

लेकिन कांटेदार पौधा होने के बावजूद यह पौधा उत्तराखंड के लोगो को काफी प्रिय भी है ।

क्यों है ये आप नीचे पढ़िये ।

उत्तराखंड के इतिहास मे इसमे इसने अपनी एक अलग भूमिका अदा की है ।

इसकों पकाने के बाद इसकी बहुत स्वादिष्ट सब्जी बनती है और उत्तराखंड मे बहुत लोकप्रिय है ।

यह गरम तासीर की होती है और इसका स्वाद कुछ कुछ -कुछ पालक जैसा ही होता है इसमें बिटामिन A,B,D , आइरन, कैल्सियम और मैगनीज़ प्रचुर मात्रा में होता है बहुत से देशों मे इसकी खेती भी की जाती है ।

लेकिन भारत के हिमालय क्षेत्र मे यह पौधा इतनी मात्रा मे होता है कि इसकी खेती करने की जरूरत ही होती यहां ये पौधा जंगली पौधे की श्रेणी मे गिना जाता है ।

अगर उत्तराखंड के ब्यंजको की बात करें तो बिच्छू बूटी के बिना सारे ब्यंजक अधूरे हैं ।

अगर आप उत्तराखंड या हिमाचल से है तो आपने इसकी सब्जी या छपाक जरूर खाई होगी या हो सकता है कि दोनो खाई हो ।