गौं गौं की लोककला

अमाल्डू (पौड़ी गढ़वाल ) में स्व केदार उनियाल , चित्रमणि उनियाल के चौपुर की तिबारी व जंगले में काष्ठ कला अलंकरण , नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : जग प्रसिद्ध संस्कृति फोटोग्राफर बिक्रम तिवारी

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उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 123

अमाल्डू (पौड़ी गढ़वाल ) में स्व केदार उनियाल , चित्रमणि उनियाल के चौपुर की तिबारी व जंगले में काष्ठ कला अलंकरण , नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊं , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , मोरियों , खोलियों, काठ बुलन, छाज ) काष्ठ कला, नक्कासी - 123

संकलन - भीष्म कुकरेती

जैसा कि पहले ही सूचित हो चूका है कि अमाल्डू (डबराल स्यूं , द्वारीखाल ब्लॉक ) कर्मकांडी ब्राह्मण -ज्योतिष विद्वानों का गाँव है व अमाल्डु के मकानों की विशेष्ता है अधिकतर मकान ढैपुर ( 1 +1 . 5 ) , तिपुर (1 +2 ), चौपुर (1 +3 ) हैं व कहीं कहीं राज राजेश्वरी देवलगढ़ दरबार भवन की छाप लिए हैं। प्रस्तुत स्व केदार दत्त उनियाल व चित्रमणि उनियाल के चौपुर (तल मजिल + 3 अन्य मंजिल ) में तिबारी भी है व जंगला भी है।

मकान दुखंड /तिभित्या है व तल मंजिल से ऊपर मंजिल में जाने हेतु आंतरिक पथ प्रवेश द्वार से जाता है जिसे खोली कहा जाता है। खोली के सिंगाड /स्तम्भ व मुरिन्ड पर सुंदर कला अंकित है , अशोक उनियाल बताते हैं कि मुरिन्ड में बहुत बारीकी का अंकन / (नक्कासी ) हुआ है।

पहली मंजिल पर स्थित तिबारी चार स्तम्भों से बनी है जिससे तीन खोली /द्वार , ख्वाळ हैं। स्तम्भ दीवाल से एक नक्कासीदार कड़ी से जुड़े हैं। स्तम्भ का आधार कुम्भी उलटे कमल दल से बना है व फिर नककसीदार ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर ऊपर गमन करता कमल फूल है व यहां से स्तम्भ की गोलाई में मोटाई कम होती जाती है व जहां सबसे कम मोटाई है वहां स्तम्भ में अधोगामी पद्म पुष्प दल है व उसके ऊपर अलंकरण युक्त ड्यूल व ड्यूल के ऊपर खिले कमल की पंखुड़ियां है। यहां से स्तम्भ सीधा ऊपर मुरिन्ड में मिलने से पहले थांत (bat blade shape ) की शक्ल अख्तियार करता है व दूसरी ओर मरहराब की चाप निकलती है , मेहराब तिप्पती नुमा है व बीच में ही तीखा है ,. मेहराब के बाहर त्रिबुज आकृति में

किनारे पर एक एक बहुदलीय पुष्प हैं. मेहराब के त्रिभुज , मुरिन्ड के पट्टियों में सर्पिल लता , कहीं पत्तियां औरकहीं लता पर्ण अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है।

मकान में जंगला भी हिअ क्यों बनाया यह तो प्रश्न ही खड़ा करता है। प्रथम मंजिल के जंगले में दस से अधिक सपाट स्तम्भ /खम्बे हैं। स्तम्भ व जंगल के मुरिन्ड /मथिण्ड में कोई अलंकरण नहीं है। कहा जाय तो जंगले ने तिबारी की सुंदरता को ढका है।

पत्थर ढोँरी के खान खांडी सेलाये गए थे व शिल्प कलाकार गांव के व् आस पास स्थानीय कलाकर ही थे।

निष्करण निकलता है कि अमाल्डू चौपुर का तिबारी भव्य है व उसमे प्राकृतिक व ज्यामितीय कला , अलंकरण विद्यमान है। जंगल ने तिबारी की सुंदरता बिल्कल घटा के रख दी है।

सूचना व फोटो आभार : जग प्रसिद्ध संस्कृति फोटोग्राफर बिक्रम तिवारी

सहायक सूचना अशोक उनियाल

* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी . मिलकियत की सूचना श्रुति से हैं। है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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