गौं गौं की लोककला

फल्दाकोट मल्ला (यमकेश्वर ) में केशर सिंह - छप्पन सिंह पयाल की निमदारी में काष्ठ कला अंकन , नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : सी पी कंडवाल व बलवंत सिंह पयाल (फल्दाकोट )

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 131

फल्दाकोट मल्ला (यमकेश्वर ) में केशर सिंह - छप्पन सिंह पयाल की निमदारी में काष्ठ कला अंकन , नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , बखाई , खोली , कोटि बनल ) काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 131

संकलन -भीष्म कुकरेती

जैसे पहले अध्यायों में लिखा गया है कि उदयपुर पट्टी में फल्दाकोट ब्रिटिश काल से ही कृषि समृद्धि व ग्रामवासियों के पुलिस बल में शामिल होने के लिए प्रसिद्ध था। अधिकतर समृद्धि का प्रतीक मकान होते जाते हैं। फल्दाकोट में तिबारियों से अधिक निमदारी या जंगलेदार मकान अधिक पाए गए हैं। व अधिकतर निमदारी /जंगलेदार मकान 1946 के पश्चात ही निर्मित हुयी हैं। पहाड़ी गढ़वाल में खिड़कीयों लम्बाई चौड़ाई बता सकने में सक्षम होती हैं कि मकान कितना आधुनिक है। मोरी में केवल छेद हो तो समझा जाता है प्राचीन व लोहे की छड़ियाँ व बड़ी खिड़की मतलब आधुनिक मकान।

सम्प्रति आधुनिक श्रेणी के फल्दाकोट मल्ला के केशर सिंह - छप्पन सिंह पयाल के ढैपुर या तिपुर मकान के जंगल में लगी लकड़ी में कला, अलंकरण उत्कीर्णन व नक्कासी की विवेचना होगी। मकान दुखंड /तिभित्या है व तल मंजिल में आगे के कमरों को ढका नहीं गया है अपितु बरामदे में बदल दिया गया है , तल मंजिल पर गारा सीमेंट के पिलर्स भी मकान के आधुनिकता का बोध कराते हैं। पहली मंजिल पर छज्जे (संभवतया सीमेंट का ही ) के ऊपर जंगल बंधा है। वास्तव में छज्जे को बरामदे में तब्दील किया गया है।

फल्दाकोट मल्ला के केशर सिंह -छप्पन सिंह पयाल की निमदारी (जगंले ) में कुल आठ स्तम्भ हैं जो सात ख्वाळ /खोली बनाते हैं। स्तम्भ के आधार में ढाई फिट तक दोनों ओर काष्ट पट्टिका लगी हैं जिससे स्तम्भ /खम्बे मोठे दीखते हैं व ऊपर कीओर स्तम्भ सीधी सपाट हैं।

पहली मंजिल में स्तम्भ , मुरिन्ड। मथिण्ड की कड़ी , छत आधार काष्ठ पट्टिका , कमरों के दरवजों , खिड़की के दरवाजों के सिंगड़ -मुरिन्ड में केवल ज्यामितीय कला , अलंकरण उत्कीर्णन (नकासी ) के ही दर्शन होते हैं , मकान के कसी बगी काष्ठ भाग में प्राकृतिक , प्रतीकात्मक , मानवीय अलंकरण (motifs ) के दर्शन नहीं होते हैं।

मकान के डिजाइन व बड़े होने के कारण मकान भव्य दीखता है। ज्यामितीय अलंकरण में कटान सफाई है।

निष्कर्ष निकलता है कि फल्दाकोट मल्ला के केशर सिंह -छप्पन सिंह पयाल की तिपुर वाले मकान की निमदारी में केवल ज्यामितीय कला के सर्शन होते हैं।

सूचना व फोटो आभार : सी पी कंडवाल व बलवंत सिंह पयाल (फल्दाकोट )

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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