गौं गौं की लोककला

असगोली (अल्मोड़ा ) के एक भव्य भवन में काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर नक्काशी

सूचना

आभार : सुमन कंडवाल कुकरेती

फोटो -ईउत्तरांचल . कॉम

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 219

असगोली (अल्मोड़ा ) के एक भव्य भवन में काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर नक्काशी

कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन ( बाखली , तिबारी , निमदारी , जंगलादार मकान , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला अलंकरण,लकड़ी पर नक्काशी -219

संकलन - भीष्म कुकरेती

भवन काष्ठ कला श्रृंखला का सारा श्रेय मेरे मित्रों को जाता है जो प्रतिदिन मेरे पास मकानों की फोटो व सूचनाएं भेजते रहते हैं। इसी क्रम में सुमन कंडवाल कुकरेती ने अल्मोड़ा जनपद के असगोली गाँव से एक भव्य भवन की सूचना भेजी है। भवन की बनावट व देखरेख से अनुमान लगाना सरल है कि प्रस्तुत भवन होम स्टे भवन है। असगोली का प्रस्तुत भवन परम्परागत बाखली शैली का ही है। असगोली (अल्मोड़ा ) का प्रस्तुत भवन नया एवं चिमनी व खड़कियों के ऊपर पत्थर या ईंट की मेहराब से पता चलता है कि प्रस्तुत भवन निर्माण शैली ब्रिटिश भवन शैली से प्रभावित है। सीढ़ियों व खोली के पहली मंजिल में सिमट जाने से सरलता से अनुमान लगता है बल भवन के जीर्णोद्धार हुआ है।

असगोली (अल्मो : - ड़ा ) के प्रस्तुत भवन दुपुर व दुघर भवन है। असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन वास्तव में बाखली का हिज्जा है। असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन में काष्ठ कला या मकान पर लकड़ी नक्काशी विवेचना हेतु भवन के तल मंजिल में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि तल मंजिल में कमरों तथा खड़कियों के दरवाजों में , सिंगाड़ों (स्तम्भ) में ज्यामितीय कला के दर्शन होते हैं। असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन में पहली मंजिल पर काष्ठ कला , अलंकरण विवेचना हेतु खोली,; एक बड़े कमरे के द्वार ; तीन झरोखों व मोरियों (खड़िकियाँ ) पर ध्यान लगाना।

--: असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन की खोली पर काष्ठ कला विवेचना :- खोली के स्तम्भ सामन्य उत्तराखंड की खोलियों की भाँती उप स्तम्भों के युग्म (जोड़ ) से बने हैं। उप स्तम्भ दो प्रकार से हैं - सीधे बिन कुम्भी , कमल फूल के जिन पर बेल बूटों की नक्काशी हुयी है व दूसरे प्रकार के उप स्तम्भ जिनके आधार में उल्टा कमल दल है जिसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल हैं . यहां से एप स्तम्भ सीधे ऊपर जाकर मुरिन्ड के स्तर (layer ) बन जाते हैं। कमल दल व मुरिन्ड तक इन उप स्तम्भों में धार -गड्ढों (Fluet - flitted ) अंकन हुआ है। सभी उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड के स्तर बन जाते हैं। खोली मुरिन्ड के मुख्य तीन स्तर हैं -निम्नतम स्तर जिसमे सपाट मेहराब है तथा एक देव मूर्ति भी स्थापित है। मुरिन्ड के मध्य स्तर में दो कड़ियों के मध्य में छोटे छोटे हुक्के की नै आकृति के लघु स्तम्भ लगे हैं। खोली का सबसे ऊपर स्तर चौखट है एवं छत आधार से मिला है।

-: असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन के पहली मंजिल में कमरे के द्वार में काष्ठ कला अलंकन अंकन :- कला दृष्टि से असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन के पहली मंजिल में कमरे के द्वार वास्तव में खोली का ही प्रतिरूप है। स्तम्भ व मुरिन्ड में वही कला है जो खोली में विध्यमान है । दरवाजों में door lite व door site में ज्यामितीय कटान हुआ है।

-: असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन के पहली मंजिल में छाजों (झरोखों _ काष्ठ कला , अलंकरण अंकन :- -: असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन के पहली मंजिल में तीन (छाज ) झरोखे हैं और कला दृष्टि से समरूप है। छाज के मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित है व और कला दृष्टि से छाजों (झरोखों ) के उप स्तम्भ बिलकुल खोली के सामान ही हैं। उप स्तम्भों संख्या में फरक है व छाजों के मुरिन्ड मेहराब युक्त चौखट हैं। खोली के मुरिन्ड के उच्च स्तर में जो हुक्के की ऊपर की नली जैसे लघु उप स्तम्भ हैं वैसे ही लघु स्तम्भ छाजों के तल ओर दो दो स्तरों (layers ) में विद्यमान हैं। छाजों के दरवाजों पर ज्यामितीय कटान हुआ है। एक बड़े छाज के मुरिन्ड में काष्ठ देव मूर्ति स्थापित है।

-: असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन के पहली मंजिल में जमोरियों /खिड़कियों में काष्ठ कला अंकन :- -: असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन के पहली मंजिल में चार खिड़कियां या मोरियाँ हैं व उनके छेद /ढुड्यार पटिले से बंद हैं। मोरी को बंद करने वाले पटिले के दो भाग हैं -नीचे चौखट भाग व ऊपर मेहराब भाग। दोनों भागों में बेल बूटों की नक्काशी हुयी है। खड़की के बाहर पत्थर या ईंट से मेहराब निर्मित हैं।

निष्कर्ष - असगोली (अल्मोड़ा ) के प्रस्तुत भवन भव्य है , बाखली शैली का है व मकान की लकड़ी में प्राकृतिक, ज्यामितीय , मानवीय (देव मूर्ती ) प्रकार के अंकन उत्कीर्णन हुआ है।

सूचना आभार : सुमन कंडवाल कुकरेती

फोटो -ईउत्तरांचल . कॉम

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . भौगोलिक व मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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