गौं गौं की लोककला

थेपगांव (इड़िय कोट तल्ला ) में स्व अम्बा दत्त मधवाल के भव्य निम दारी , तिबारी में उत्कृष्ट काष्ठ कला व अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : कवि साहित्यकार रमाकांत ध्यानी

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 108

थेपगांव (इड़िय कोट तल्ला ) में स्व अम्बा दत्त मधवाल के भव्य निम दारी , तिबारी में उत्कृष्ट काष्ठ कला व अलंकरण

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखई , खोली , काठ बुलन ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन - 108

संकलन - भीष्म कुकरेती

पौड़ी गढ़वाल जनपद के धुमाकोट तहसील में नैनीडांडा में थपेगाँव अपनी समृद्धि व सौकारपन के लिए प्रसिद्ध रहा है। थपेगांव में ही स्व अम्बा दत्त मधवाल के तल मंजिल में भव्य तिबारी युक्त भव्य जंगलेदार मकान अपने निर्माण समय सन 1929 से ही क्षेत्र व थपेगाँव की पहचान /identity रहा है। मकान दुखंड /तिभित्या है।

स्व अम्बा दत्त मधवाल की तिबारी युक्त निमदारी में काष्ठ कला विवेचना हेतु भवन के तीन भागों पर ध्यान देना पड़ेगा -

१- पहली मंजिल में जंगलों के स्तम्भों में काष्ठ कला

२- तल मंजिल में स्थापित तिबारी (बैठक ) में काष्ठ कला , अलंकरण (art and motifs )

३- तल खोली में काष्ठ कला , अलंकरण

१- पहली मंजिल में जंगलों के स्तम्भों में काष्ठ कला :-

पहली मंजिल में लकड़ी के छज्जे पर बंधे जंगले /निम दारी में 18 से अधिक स्तम्भ है जो काष्ठ छज्जे पर टिके हैं व ऊपर काष्ट की छत पट्टिका /कड़ी से मिल जाते हैं। स्तम्भ के नीचे वाले भाग में दो दो पट्टिकाएं चिपकी हैं जिससे यह भाग मोटा दीखता है। जंगल पर लौह रेलिंग लगी है। स्तम्भों , दासों /सीरा / टोड़ी व कड़ियों में ज्यामितीय कला , अलंकरण ही हुआ है।

२- ल मंजिल में स्थापित तिबारी (बैठक ) में काष्ठ कला , अलंकरण (art and motifs ):-

गढ़वाल में अब तक के सर्वेस्क्षण में मैंने पौड़ी गढ़वाल के दो ही तिबारियों को तल मंजिल में पाया है एक ज्याठा गाँव (पैंनों ) में स्व विश्वम्भर दत्त देवरानी शास्त्री की तिबारी व स्व मधवाल की यह तिबारी तल मंजिल में स्थापित हैं। अम्बा दत्त मधवाल की तिबारी में उत्कृष्ट काष्ठ कला उभर कर आयी है व नयनाभिरामी भी है। इस नयनाभिरामी छवि हेतु अम्बा दत्त के पड़पोते विवेका नंद मधवाल की जितनी प्रशंसा की जाय कम है जो भवन की देखरेख बच्चों के बराबर ही कर रहे हैं। तिबारी में चार स्तम्भ /सिंगाड़ हैं जो तीन द्वार /मोरी /खोली /ख्वाळ बनाते हैं। किनारे के स्तम्भ बेलबूटे से अलंकृत कड़ी से दीवाल से जुड़ते हैं।

प्रत्येक स्तम्भ देहरी के ऊपर चौकोर डौळ पर टिके हैं। डौळ के ऊपर अधोगामी कमल दल है फिर ड्यूल (ring type wood plate ) है। ड्यूल के नीचे , ड्यूल में व ड्यूल के ऊपर सुंदर चित्रकारी अंकित हुयी है। ड्यूल के ऊपर के धगुल /छल्ला के ऊपर फिर उर्घ्वगामी कमल दल उभर कर आया है। प्रत्येक कमल दल /पंखुड़ियों के ऊपर चित्रकारी हुयी है। यहां से स्तम्भ की मोटाई कम होती व इस कम भाग शाफ़्ट में कमल दल से तीर के पश्च भाग जैसी आकृति दोनों और अंकित हुआ है। स्तम्भ के इस भाग में एक सर्पाकार /spiral जैसी आकृति अंकित है जिस पर पत्तियों जैसे आकृति अंकित है। जहां पर स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां पर अधोगामी मकल दल की फिर कलात्मक ड्यूल है व फिर ऊपर की ओर उर्घ्वगामी कमल दल है। यहां के कमल पंखुड़ियों के ऊपर पत्तियों या पुष्प जैसे आकृति अंकित हुयी हैं। उर्घ्वगामी कमल दल के ऊपर इम्पोसट है जहां से एक तरफ ऊपर की ओर स्तम्भ का थांत (bat blade type shape ) शुरू होता है और थांत ऊपर सीधे मुरिन्ड /मथिण्ड से मिल जाता है। यहीं से मेहराब का आधा भाग (half arch ) भी शूर होता है जो दूसरे स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर पूरा चाप बना देता है। मेहराब केंद्र को छोड़ तिपत्ति स्वरूप है व एक मेहराब के ऊपर त्रिभुज आकृति में दो अष्ट दलीय पुष्प हैं तो दोनों अन्य मेहराब के बाहर त्रिभुज में धर्मचक्र हैं। याने मेहराब के ऊपर की तिकोनी पट्टिका में दो अष्टदल पुष्प , चार धर्म चक्र आकृति हैं , प्रत्येक त्रिभुज आकृति में वानस्पतिक अंकरण उत्कीर्ण हुए हैं। मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष की कड़ियों में तरंगयुक्त बेल बूटे अंकित हैं। छज्जे की आधार पट्टिका से कई शंकुनुमा आकृतियां लटक रही हैं जो सुन्र लग रही हैं।

३- तल खोली में काष्ठ कला , अलंकरण :-

थपेगांव (इड़ि कोट ) में स्व अम्बा दत्त मधवाल के मकान में पहली मंजिल में जाने हेतु तल मंजिल से अंदुरनी सीढ़ियां व तल मंजिल में खोली (प्रवेश द्वार ) है जिस पर काष्ठ कला अलंकरण प्रशंसनीय है। खोली के सिंगाड़ के तीन प्रमुख भाग हैं कड़ी , स्तम्भ व स्तम्भ के बाहर स्तम्भ पट्टिका। स्तम्भ व दीवाल से जोडू कड़ी में व सिंगाड़ के अंदरूनी पट्टिका में वानस्पतिक (बेल बूटेदार ) अलंकरण हुआ है। स्तम्भ व कड़ी में वानस्पतिक कला से अंकित सर्पाकार आकृति साफ दिखती हैं। खोली की मथिण्ड /मुरिन्ड की पट्टिका में तीन प्रकार के अलंकरण हुए है जो इस मकान को विशेष बनाने में महत्वपूर्ण हैं। मथिण्ड /मुरिन्ड में चक्राकर धर्म चक्र व अष्टदलीय पुष्प हैं, प्राकृतिक कला , व मंदिर नुमा आकृति अंकित है जिसमे कृति स्थापित। है मंदिर नुमा आकृति के बाहर मुरिन्ड /मथिण्ड पट्टिका में मंदिर ओर वानस्पतिक आकृतियां अंकित हैं जो मानव सिर का बनाते हैं।

निष्कर्ष निकलता है कि थपेगांव (इड़ि कोट ) में स्व अम्बा दत्त मधवाल के मकान में सभी तरह के काष्ठ अलंकरण अंकित हुए है , प्राकृतिक कला अलंकरण , ज्यामितीय काष्ठ कला अलंकरण व मानवीय कल अलंकरण। भव्यता की दृष्टि से भी थपेगांव (इड़ि कोट ) में स्व अम्बा दत्त मधवाल के मकान भव्य है। स्व अम्बा दत्त मधवाल ने यह मकान 1929 में निर्मित करवाया व मिस्त्री थे भौन गांव (इडिया ) धुमाकोट के शोभा मिस्त्री। स्व अम्बा दत्त मधवाल के पड़ पोते विवेका नंद की मकान देख रेख हेतु जितनी भी प्रशंसा हो कम ही पड़ेगी।

सूचना व फोटो आभार : कवि साहित्यकार रमाकांत ध्यानी ,

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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