गढ़वाली कविता
बालकृष्ण डी. ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुर
कानों मा
कानों मा
कानों मा झुमकी ,नाक मा नथुली
गला गुलुबंदा सजै आ
माथा कि बिंदुली क्या बोल्नी छुचि
अप्डी जिकुड़िळ मेर जिकुड़ि मां
अपरी सरया माया भोरे जा
हमारी संस्कृति हमारी पहचान
जय हो देवभूमि उत्तराखंड
बालकृष्ण डी ध्यानी