गौं गौं की लोककला

बैंजी कांडई (दशज्यूला , रुद्रप्रयाग ) में कांडपाल परिवार के भव्य मकान में तिबारी व खोळी में काष्ठ कला अंकन , लकड़ी पर नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : किशोर रावत

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 191

बैंजी कांडई (दशज्यूला , रुद्रप्रयाग ) में कांडपाल परिवार के भव्य मकान में तिबारी व खोळी में काष्ठ कला अंकन , लकड़ी पर नक्कासी

Traditional House wood Carving Art of Bainji Kandayi (Dashjyula ) Rudraprayag

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , छाज कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्कासी - 191

संकलन - भीष्म कुकरेती

ब्रिटिश शासन में जब ऋषीकेश -बद्रीनाथ -केदारनाथ सड़कों व वहां स्वास्थ्य सेवाओं में सुधर हुआ तो ऋषीकेश -चार धाम यात्रियों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुयी . इस वृद्धि से रुद्रप्रयाग व चमोली भूभाग में कई तरह से समृद्धि भी आयी। पर्यटन किस तरह से समृद्धि लाता है यह इस भूभाग के अनुभव से सीखा जा सकता है। रुद्रप्रयाग व चमोली भूभाग में समृद्धि प्रतीक तिबारियों -खोलियों के निर्माण हुए। ऐसे ही समृद्धि सूचक प्रतीकों की सूचना रुद्रप्रयाग बैंजी कांडई (दशज्यूला ) से मिली हैं। आज रुद्रप्रयाग के बैंजी कांडई (दशज्यूला ) में कांडपाल परिवार के एक मकान में तिबारी में काष्ट कला की विवेचना होगी।

रुद्रप्रयाग के बैंजी कांडई (दशज्यूला ) में कांडपाल परिवार का मकान ढैपुर (1 + 1 1/2 ) , दुखंड (दुघर या तिभित्या ) है। काष्ट कला विवेचना हेतु रुद्रप्रयाग के बैंजी कांडई (दशज्यूला ) में कांडपाल परिवार के मकान में तल मंजिल में खोली , पहली मंजिल में तिबारी व दो कमरों के दरवाजों की ओर ध्यान देना होगा।

--- रुद्रप्रयाग के बैंजी कांडई (दशज्यूला ) में कांडपाल परिवार के मकान में तल मंजिल पर खोळी में काष्ठ कला -

प्रस्तुत मकान के तल मंजिल में तीन कमरे व खोली हैं जहां लकड़ी का काम दृष्टिगोचर होता है। कमरों के सिंगाड के आधार पर व कमरों के दरवाजों पर ज्यामितीय कटान हुआ है याने ज्यामितीय अलंकरण के दर्शन होते है। खोळी में दो तरह के स्तम्भ हैं बाह्य ओर गारे -मिट्टी से निर्मित स्तम्भ हैं जिन पर देव मूर्ति व मानव मूर्तियों के अतिरिक्त हाथी व एक अन्य पशु की आकृतियां सजी हैं।

रुद्रप्रयाग के बैंजी कांडई (दशज्यूला ) में कांडपाल परिवार के मकान के खोळी के भीतरी दोनों सिंगाड़ /स्तम्भ लकड़ी से बने हैं। प्रत्येक आंतरिक अथवा काष्ठ सिंगाड़ चार लघु स्तम्भों /सिंगाड़ों के युग्म से बने हैं। इनमे भी सबसे अंदर का व फिर बाहर से एक अंदर स्तम्भों में कला अलग है व सबसे बाहर व अंदर से एक छोड़ स्तम्भ की कला कटान अलग रूप में हैं। सबसे बाहर व अंदर से एक छोड़ अंदर स्तम्भ में आधार से लेकर ऊपर तक प्राकृतिक अंकन हुआ है जैसे जंजीर युक्त बेल /लता हो। दोनों स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड (शीर्ष ) की तह में तब्दील हो जाते हैं। बाकी दो तरह के स्तम्भ के आधार में उल्टा कमल फिर ड्यूल फिर सीधा कमल फूल अंकित हुआ है , नक्काशी बड़ी बारीक तरीके से हुयी है। सीधे कमल दल से स्तम्भ सीधे हो मुरिन्ड के तह बन जाते हैं याने आठों के आठों लघुस्तम्भ मुरिन्ड के तह (layers ) बन जाते हैं। मुरिन्ड के केंद्र में देव मूर्ति अंकित है व मुरिन्ड के ऊपर छप्परिका आधार से नीचे काष्ठ शंकु लटके हैं।

--: रुद्रप्रयाग के बैंजी कांडई (दशज्यूला ) में कांडपाल परिवार की तिबारी में काष्ठ कला , अंलकरण अंकन , लकड़ी की नक्काशी :---

प्रस्तुत मकान की पहली मंजिल में मकान के सामने की ओर (Facad ) भव्य तिबारी स्थापित है। रुद्रप्रयाग के बैंजी कांडई (दशज्यूला ) में कांडपाल परिवार की तिबारी गढ़वाल की आम तिबारियों से कुछ हटकर है और ऐसी तिबारियां गढ़वाल में गिनती की होंगी। तिबारी आम गढ़वाली तिबारियों जैसे ही चौखम्या व तिख्वळ्या है। किन्तु इस तिबारी की विशेषता है कि प्रत्येक स्तम्भ /सिंगाड़ चार उप स्तम्भों के युग्म से बने हैं व भव्य हैं। स्तम्भ पत्थर के छज्जे के ऊपर देळी के ऊपर स्थापित हैं। पर एक उप स्तम्भ के आधार में उल्टा कमल फूल कुम्भी /दबल आकृति निर्माण करता है व कुम्भी के ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर खिला उर्घ्वगामी पद्म पुष्प अंकन हुआ है व जहां से उप स्तम्भ लौकी आकृति हासिल कर लेता है और उप स्तम्भ के इस लौकीनुमा भाग में उभार -गड्ढे (fluet -flitted ) का कटान हुआ है। जहां सबसे कम मोटाई है वहां उल्टा कमल फिर से दृष्टिगोचर होता है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल फूल है। सभी चारों उप स्तम्भों के सीधे कमल फूल ऊपर चौखट बन जाते हैं और यहां से मेहराब का आधा मंडल शुरू होता है व सामने के स्तम्भ के उप स्तम्भों के आधे मंडल से मिलकर पूर्ण मेहराब बनाते है। इस तरह कुल तीन मेहराब तिबारी में हैं। मेहराब तिपत्ति (trefoil ) नुमा हैं प्रत्येक मेहराब के बाहर के त्रिभुज में किनारे पर एक एक फूल हैं याने कुल छह फूल हैं , त्रिभुज में प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।

छत आधार लकड़ी का है व कई शंकु लटकते दीखते हैं।

मकान के पहली मंजिल में अंडाकार मोरियाँ भी हैं जिन्हे ज्यामिति ब्यूंत से अंडाकार सिंघाड़ों से सजाया गया है। मोरियों में झरोखे हैं।

मकान के दुसरे तरफ (Side ) दो कमरे हैं जिनके दरवाजों के चरों स्तम्भों में कला तिबारी के उप स्तम्भों के बिलकुल समान हैं व कमरों के दरवाजों पर मेहराब भी तिबारी के मेहराब सामान है।

मकान सन 19 41 में आस पास के गांवों के श्रमदान से निमृत हुआ था। कुल खर्चा आया था 1600 चंडी के कंळदार। डिजायनकर्ता थे प्राणी दत्त व शिल्पकार थे क्वीली के कोली धुमु व धामू।

आज इस मकान के साझे हकदार हैं -जगदीश कांडपाल , त्रिलोचन कांडपाल, भगवती कांडपाल , देवेंद्र स्वरूप कांडपाल और विनोद कांडपाल ।

निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि रुद्रप्रयाग के बैंजी कांडई (दशज्यूला ) में कांडपाल परिवार के भव्य मकान में तीनों प्रकार के ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है। नक्काशी की बारीकियां काबिलेतारीफ हैं।

सूचना व फोटो आभार : किशोर रावत

* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी . मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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