आलेख :विवेकानंद जखमोला शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

फोटो एवं सूचना साभार -

श्री राजेन्द्र बड़वाल जी ।

किरूली, चमोली में स्थित जल स्रोत

(धारे , मंगारे , नौले की पाषाण शैली व कला )

उत्तराखंड के स्रोत#धारे,पंदेरे, मंगारे और नौलौं कीनिर्माण शैली विवेचना की इस श्रृंखला के अंतर्गत आज प्रस्तुत है जनपद चमोली के किरूली गांव में स्थित इस धारे की निर्माण शैली और पाषाण कला के बारे में।

जल संसाधनो से समृद्ध चमोली जनपद की इस जलधारा जो प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद के किरूली गाँव में स्थितहै और बहुत पुरातन है ।सूचना स्रोत श्री राजेन्द्र बड़वाल जी के अनुसार, इसका निर्माण स्थानीय शिल्पकारों द्वारा किया गया था। कभी यहाँ नौ धाराएँ हुआ करती थीं इसलिए इसे नौ मंगरा के नाम से जाना जाता था परंतु 1999 में आये विनाशकारी भूकम्प से ध्वस्त होने के बाद आज इस जल स्रोत की सिर्फ एक ही धारा बची हुई है। भूमिगत जल के इस सोते को इस स्थल पर एकत्रित करने के लिए स्थानीय तौर पर उपलब्ध पत्थर की सिल्लियों से चिनाई करके आधार दीवार बनाई गई है तथा पानी को जलधारा का स्वरूप देने के लिए साधारण पत्थर का धारा लगाया गया है।धारे के पत्थर पर किसी तरह की नक्काशी नहीं की गई है, केवल जलधार निकलने के लिए छेनी हथोड़े से छीलकर नाली नुमा आकार दिया गया है। भूतल से पहले 3-4फीट के लगभग ऊंची एक सीधी आधार दीवार चिनी गई है और तब जल स्रोत को इस प्रकार संग्रहण किया गया है कि वह यहां पर धारा का रूप ले सके। धारे से छलछलाकर निकलती जल धारा नीचे रखी पठाल के ऊपर गिरते हुए बरबस ही आकर्षित करती है। धारे के ऊपर से पत्थरों व सीमेंट की एक दीवार उर्ध्वाधर बनाई गई है। अत्यंत मनमोहक इस बारामासी जलधारा का गांव के लोगों और आने जाने वाले यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। जीर्णोद्धार के पश्चात इसके अतिरिक्त पानी के एकत्रीकरण के लिए बगल में एक सीमेंट टैंक भी भी बनाया गया है। धारे के ऊपर दांयी ओर जलाभिषेक से ही संतुष्ट होने वाले भोलेनाथ का मंदिर बना हुआ है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस जलधारा का निर्माण समयानुसार बढिय़ा ढंग से किया गया है। आज आवश्यकता है कि हम अपने पूर्वजों द्वारा संजोई गई इस अमूल्य धरोहर के संरक्षण के लिए कृतसंकल्प रहें जिससे प्रकृति का यह अनमोल खजाना हमारी जीवन धारा को निरंतर यूं ही प्रवाहमान बनाए रख सके ।

प्रेरणा स्रोत - वरिष्ठ भाषाविद साहित्यकार श्री भीष्म कुकरेती जी ।🙏 🙏

आलेख :विवेकानंद जखमोला शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

फोटो एवं सूचना साभार - श्री राजेन्द्र बड़वाल जी ।