म्यारा डांडा-कांठा की कविता
दुख्यरा दिल का दुखदौं थैं जो कच्वार क्वी ।
दुख्यरा दिल का दुखदौं थैं जो कच्वार क्वी ।
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दुख्यरा दिल का दुखदौं थैं जो कच्वार क्वी ।
इना दुख-दिंदरौं थैं भि जरा प्यार कार क्वी ।।
दुन्यां का दगड़ हिटणा को ढब ऐ ग्याई अब ।
फेर निठुरा-निरसौं का बाना किलै म्वार क्वी ।।
इ सांस भि छन बस द्वि-चार दिना की खंदेर ।
अंगुळि-अंगुळ्यूंम अपणि गणत त कार क्वी ।।
अपणा-अपणा समौ अर बगत की बात छन ।
सर्या राज पाट त हमारो च अर सरकार क्वी ।।
आज भि मेरि पुंगड़ियूं की हथकड़ि पैरि छन ।
कोच वो जो वकील,दलील,अपील कार क्वी ।।
उल्यरु-उलखणि सि छन तेरि गज़ल 'पयाश' ।
गीत वैका सि शेर हैंका सि अर लिख्वार क्वी ।।
© पयाश पोखड़ा 24122019.
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