(कला व अलंकरण केंद्रित)
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार , बखाई ) काष्ठ , अलकंरण , अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 103
संकलन - भीष्म कुकरेती a
टिहरी गढ़वाल के घनसाली ब्लॉक में तुंगना गाँव पुरुषार्थी व्यक्तियों व कृषि समृद्ध गाँव है। जैसे कि दोनों गढ़वाल के अन्य भागों में गोरखा काल के उपरान्त समृद्धि आयी वैसे ही घनसाली ब्लॉक के तुंगाना गाँव में भी समृद्धि आयी व समृद्धि के प्रतीक शानदार , ठाठदार भवन बनने लगे। 1900 के दो तीन दशक बाद तक शानदार मकान का अर्थ होता था तिबार /तिबारी निर्माण। इसी तरह तुंगाना गांव के समृद्ध व्यक्ति अमर सिंह नेगी ने भी 1915 -1925 के मध्य तुंगाना में शानदार दुखंड , तिभित्या , दुपुर तिबार /तिबारी निर्माण की। अब यह ऐतिहासिक तिबार /तिबारी ध्वस्त हो चुकी है और यहाँ नया मकान बना चुका है।
जैसा कि तब युग में रिवाज था कि तिबारी चार स्तम्भों की हो व उसमे तीन खोली /मोरी /द्वार हों जैसे ही अमर सिंह नेगी की तिबारी थी,
पहली मंजिल के छज्जों पर स्थित तिबारी के स्तम्भ देळी में पाषाण ड्यूल पर टिके हैं व उसके बाद अधोगामी /उल्टा कमल फू पंखुड़ियां से कुम्भिका।/पथ्वड़ आयकर बनता है व फिर डीला /ड्यूल है व उसे ऊपर उर्घ्वगामी /सीधा कमल दल है। कमल पुष्प के ऊपर फिर से गोल डीला हाइवा वहीं से स्तम्भ की मोटाई कम होती जाती है। जहां पर सबसे कम मोटाई है वहां पर एक डीला है व उसके ऊपर उर्घ्वगामी /सीधा कमल दल है जहां से स्तम्भ ऊपर सीता थांत (bat blade type ) में बदलता है व दूसरी तरफ यहीं से चापत फूटता है। मेहराब .चाप या तोरण के ऊपर के दोनों त्रिभुजाकार किनारों पर पट्टिका में नक्कासी है व दो दो बहुदलीय फूल हैं याने कुल छह फूल यहाँ हैं।
मथिण्ड तक जो थांत है उसमे दीवालगीर /bracket हैं और इस तरह चार दीवालगीर हैं। दीवालगीर में ज्यामितीय व पुष्प केशर नाल आकृति अंकित है (अनुमान ) व संभवतया केशर नाल चिड़िया चोंच का आभास देता है।
ब्रैकेट छोड़ बाक़ी कहीं भी पशु , पक्षी व देव आकृति नहीं अंकित है।
निष्कर्ष नकलता है कि स्व अमर सिंह नेगी की अपने समय की तुंगाना की पहचान वा शान तिबारी में प्रकृतिक व ज्यामितीय अलकंरण हॉबी है व मानवीय अलंकरण केवल ब्रैकेट में दीखता है वह भी आभास रूप में।
सूचना व फोटो आभार : महिपाल सिंह नेगी, तुंगाना Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020