खमण में तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण -4
ढांगू गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन कला श्रृंखला
दक्षिण पश्चिम गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर , डबराल स्यूं अजमेर , लंगूर , शीला पट्टियां ) तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों बाखई में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण श्रृंखला -
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखई ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 83
संकलन - भीष्म कुकरेती
खमण में भी तिबारियों व जंगलेदार मकान की संख्या भी उत्साहित करने वाली है। आज का विवेचना विषय है खमण में लीला नंद लखेड़ा के काष्ठ जंगलेदार मकान में कायस्थ कला व अलंकरण।
लीला नंद लखेड़ा का जंगलादार मकान भी आम ढांगू के जंगले दार मकान जैसे ही है और पहली मंजिल पर १६ से अधिक स्तम्भों से जंगल बंधा है , छज्जा भी लकड़ी का है जो लकड़ी के दासों में टिका है। स्तम्भ सपाट हैं व छज्जे से सीधे छत आधार पट्टिका या कड़ी से जुड़ते हैं। स्तम्भों में कोई प्राकृतिक या मानवीय कला , अलकंरण नहीं है व आधार में ढाई फ़ीट की ऊंचाई में स्तम्भ के अगल बगल में दो छोटे स्तम्भों से मोटा आधार छवि दी गयी है , ढाई फिट ऊंचाई पर ही काष्ठ रेलिंग है।
कला व अलंकरण दृष्टि से आम जंगलेदार मकान जैसा ही खमण में लीला नंद लखेड़ा का जंगलेदार मकान है किन्तु समय की आवश्यकतानुसार लीला नंद लखेड़ा का जंगले का एक लम्बा इतिहास है जब यहां बारातें आदि ठहरती थीं व बैठकें होती थीं। खमण ही नहीं क्षेत्र में लीला नंद लखेड़ा का जंगलेदार मकान एक लैंडमार्क था व जिसकी प्रतिष्ठा पूरे क्षेत्र में थी।
सूचना व फोटो आभार : राजेश कुकरेती