मेरी कविताओं

बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित




मेरी कविताओं

चलो एक वादा कर लो

जब तन्हा हूँ अकेला हूँ

तुम आकर मुझ से मिल लो


मुझ से बहुत दूर जा रही

अपनी उन निगाहूँ से जरा कह दो

मैने आंखें बंद करली है

तुम आकर मुझ से मिल लो


तुम से बहुत सी बातें करनी है

अकेले में बैठे मुलाकातें करनी है

अनकही कितनी बातें बतानी है

तुम आकर मुझ से मिल लो


मेरे अहसासों आओ जागो जरा

मेरे यथार्थ से आकर मुझसे खेलो जरा

अभिव्यक्ति तब संपूर्ण होगी जब

तुम आकर मुझ से मिल लो


भोली भाली सी है वो खूब सूरत है

दुनिया उसे देख कर खूब हैरत है

रंगत उसकी और खूब रंगीन होगी जब

तुम आकर मुझ से मिल लो


मेरी कविताओं .....



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