गौं गौं की लोककला

संकलन

भीष्म कुकरेती

पुरणकोट (शीला पट्टी ) में एक उजड़ती तिबारी में काष्ठ कला

सूचना व फोटो आभार : ऊमा शंकर कुकरेती व मदन मोहन बहुखंडी

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 37

पुरणकोट (शीला पट्टी ) में एक उजड़ती तिबारी में काष्ठ कला

पुरणकोट (शीला पट्टी ) में भवन काष्ठ (तिबारी ) कला - 3

House Wood Carving (Tibari ) Art of Purankot (Shila Patti ) -3

शीला पट्टी संदर्भ में , गढवाल हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों पर काष्ठ अंकन कला - 3

Traditional House wood Carving Art of West Lansdowne Tahsil (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ), Garhwal, Uttarakhand , Himalaya ) -37

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 37

Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya - 37

संकलन - भीष्म कुकरेती

शीला पट्टी में दुगड्डा , हनुमंती के निकटवर्ती गाँव पुरणकोट से ऊमा शंकर कुकरेती ने कुछ फोटो भेजीं व ततपश्चात मदन मोहन बहुखंडी ने भी कुछ सूचनाएं भेजीं जिससे अनुमान लगाना सरल है कि समृद्धशाली गाँव पुरणकोट तिबारियों के मामले में भी समृद्ध गाँव था। पुरणकोट में तिबारियों की कुछ विशेषता भी दिखी कि तिबारी ही नहीं अपितु बाहर छज्जे पर तोरणदार जंगल भी बंधे हैं और जंगलों के स्तम्भों पर नयनाभिरामी नक्कासी भी हुयी है जो ढांगू , उदयपुर, लंगूर में अभी तक मिली सूचना में नहीं है कि तिबारी भी हो व छज्जे पर तोरण दार (arch, मेहराब ) जंगल भी हों व जंगलों के स्तम्भों में नक्कासी भी हो।

भूतकाल के समृद्ध गाँव में अब केवल तीन परिवार ही गाँव में वास करते हैं बाकी पलायन के शिकार हो गया है यह गांव।

कुछ प्रवासी अपने पैतृक मकान /कूड़ के देखरेख /मरोम्मत करने में सफल है कुछ प्रवासी विभिन्न कारणों से अपने वैभवशाली पितरों की कूड़ों की देख रेख करने में सर्वथा असमर्थ हैं। ऐसी ही एक वैभवशाली तिबारी को फोटो व सूचना ऊमा शंकर कुकरेती व मदन मोहन बहुखंडी से मिली जो अब उजड़ ही रही है या खंडहर में परिवर्तित हो चुकी है।

इस उजड़ती तिबारी को सर्वथा तिबारी भी नहीं कह सकते किन्तु छज्जों के बाहर तोरणधारी जंगलइ हैं। मकान के दो ओर छज्जों पर आठ या दस जंगल के स्तम्भ हैं व दो स्तोभों के मध्य जोड़ पर ऊपर तोरण /arch /मेहराब लगे हैं। स्तम्भों के तोरण में तीन पत्ती Trefoil शैली का तोरण उत्कीर्ण हुयी है।

प्रत्येक स्तम्भ के आधार व शीर्ष में कलयुक्त नक्कासी हुयी है। छत के पट्टिका आधार से शंकुनुमा कलायुक्त आकृति भी लटकती है। शंकुनुमा आकृति तिबारी या जंगलेदार मकान की शोभा वृद्धि करने में सफल हुए हैं।

यह तिबारी /जंगलेदार मकान किसका है व कब बनी पर पूरी सूचना की प्रतीक्षा है। तिबारी की कला से अनुमान लगाना सरल है कि तिबारी या जंगल 1940 से पहले का ही होगा। काष्ठ कलाकर कहाँ के थे पर भी सूचना नहीं मिल पायी है।

इतना कहा जा सकता है कि इस मकान की विशेषता जंगला स्तम्भों पर नक्कासी व जंगला स्तम्भों पर ऊपर तोरण/arch लगना व छत आधार पट्टिका से शंकुनुमा आकृतियों का लटकना .

सूचना व फोटो आभार : ऊमा शंकर कुकरेती व मदन मोहन बहुखंडी

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020