सुंदरी बौ," देख्याल वीं बुढड़ीक बबाल" ।

सुंदरु भैजी," कैं बुढड़ीक "?

सुंदरी बौ," हा हा ! ज्यादा ही शरीफ बण्या छन। सरा फेस बुक, वटस ऐप , यू टयूब मा बराणि च तुम्हार ब्वै। चटेलिक गाऽलि दीणीलुखु थें, जू पहाड़ जाणा छन दिल्ली, बम्बै , ड्यारदून बिटिक । मैखुणि त भैर निकलन भी भारी ह्वै ग्या। भुनि बल" कंडालि चटकाण मिन तुम, जूत ठुकणान तुम पर , दातुडि न कच्याण तुम, अर बल वू खाणा खुणि आणा छवा घार परदेश बिटिक" । न कन बेइज्जि कैरि द्याई हमारी सर्रा देश परदेश मा यी बुढणीन" ।

सुंदरु भैजी," अरे कौन चितायेगा कि मेरी ब्वै है वा बुढड़ि जू फेसबुक , वटस- ऐप मा चटेलिक गाऽलि दे रही ?चुप रै तू बस" ।

सुंदरी बौ," अरे कैते नि च पता । पर मिते त पता च" कि तुमारी ब्वै च वा‌" ।

सुंदरु भैजी," अरे त, त्वै थें ही त सुणाणी छै मेरी ब्वै गालि कि कखि तू गौं न पहुंची जेई टुप कोरोना क डैर। वू त भवानी काका क छ्वारा त्यार फोन पर भिजणु छाई अर गलती से फेसबुक पर चलि ग्याई । अर सर्रा दुन्यां मा बबाल ह्वै ग्याई। तू भी त मेरी ब्वै तें यख नि लाणी दींद डिल्ली" ।

( अब सुंदरी बौ संट। बोलि भी नि सकदी कि मेरी सासू च)

( लिख्वार:- विश्वेश्वर सिलस्वाल)