श्री परशार गौड़

मिन जिँदगी से पूछी

तु ईथा कठोर छै किलै

हैँसी मुल बोलि वा क्य बतौँ

आसान चीजुकी दुन्य कदर ही नि करदी इल्लै ।।

,,,पाराशर गौड


प्रभू 2 करता फिरता है ,मँदिर, गिर्जा गुरूद्वारे,,

तेरे ये अँधेरे न जाने. तुझे कहाँ ले जायेंगे

माँ/बाप को रख सदा साथ कर उनकी सेवा

प्रभु तुझे मिलने तुझ से, तेरे घर दौडे आयेगें। ।।

,, कापी राइट @ पाराशर गौड


लौट कर अतीत मे जाऊं तो

जाऊँ कहा .कोई बताये तो मूझे

सदियौ से पीडियाँ गुजर गई है

अब कहाँ से गुजरु कोई बताये तो मुझे !

कापी राईट@पाराशर गौड

15 नम्वर 2019 @ 8.36 स्याम


एक तरानुम की कविता ,,

प्रेम का पथिक.

प्रेम का पुजारी हूँ

रसिक क्षृँगार का

पकड के डोर प्रेम की

पथिक हूँ तेरी राह का ।।

मनतें है मागी है मैने

दीप है जलाऐ..

ये मन है मेरा

तेरी प्रेमकी बभूति है रमाये

पथ को पा सकूँ य पा सकूँ य ना

जला दिया है मैने

राह मे दीप एक प्यार का ।।

चित है चँनचल. चलाय मान

मन है डोलता... ...

कुछ भी सुखद लागे ना इसे

प्रेम की ही भाषा हैं बोलता

आपके करीब आ सकूँ.आ सकूँ य ना

ओडली चुनर अबतो बस

तेरे नाम का..... ..।।

भ्रम है ये मेरा तो

आके तोडना

प्रेम है तो प्रेम को

प्रेम से है जोडना

स्नेह आपका पा सकूँ पा सकूँ य ना

स्मृतियोँ मे छप्प चुका है

अब तो अकश आपका

...काफी राईट,@ पाराशर गौड


पहाड़.।।।

पहाड़,

दूर बिटि दिखणम

बहुत सुंदर लगदिन

पर....,

पहाड़ जनि जिंदगी

देखिच कभी तुमन ?

वीँकी....

उक्काल उन्दार नपद नपद

सरया जिनदगी बीति जाँद दिदा। ।।

वीँ पर...

कबिता कनि अर.लिखणी

बौत आसान च

पर कभि. तुम..,

बीँका भितर झाँकी दिखिल्या.ना

त, ननी नन्ना याद आई जाला दगड्या ।।

देखि सकल्या बिँ की

लडखडाती अर्थ ब्यवस्था

जु मन्याडुरु पर टिकीँ च

सै सकल्य ...

वखका बस्याँ बासिँदौँ की पीडा

जु ऊ , ऊथै रोज झिलदीँ ।।

पहाडौँ थै दिखणौ सुख अलग च

अर उथै भुगणौ दुखः अलग च

ये सब थै दिखणौ और भुगणौ क बास्ता

कलेजु चेँद भैजी कल्यु जु ।।

पाराशर गौड , कैनाडा ।।


एक कबिता..

" रचना '

मैं ने,

कबिता को परमेश्वर माना

शब्दों को प्राण

वाकयो को नियति

छदँ और अँलकारौ को स्वास

कलम को बैतरणी...

और स्वयं को एक लकीर

जिसे...

कभी भी, कहि भी

घटाया बडाया जा.सकता.है

और

समय आने पर हटाया भी जा सकता है

या फिर..

शब्दों के उपर नीचे, कही भी रख कर

रची जा सकती है

एक समपूरण कबिता। ।।।

कापीराइट@पाराशर गौड

2001