गौं गौं की लोककला

(बृनाड (देहरादून ) में प्रीतम सिंह चौहान के भव्य मकान में रोचक काष्ठ कला , अलंकरण / लकड़ी पर नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : अनिल कांडपाल

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 142

बृनाड (देहरादून ) में प्रीतम सिंह चौहान के भव्य मकान में रोचक काष्ठ कला , अलंकरण / लकड़ी पर नक्कासी

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार , बखाली , कोटि बनाल , खोली , मोरी ) में काष्ठ अंकन लोक कला अलंकरण, नक्कासी - 142लेख अन्य पुरुष में हैं अतः श्री व जी प्रोयग नहीं हुए हैं )

संकलन - भीष्म कुकरेती

देहरादून व उत्तरकाशी के जौनसार व रवाईं क्षेत्र अपने काष्ठ भवनों के लिए 800 -900 सैलून से प्रसिद्ध हैं। देवदारु की लकड़ी की उपलब्धता व भूकंप संवेदनशीलता ने मकानों को मंजिलों में बढ़ाने की शैली को प्रश्रय मिला बनिस्पत भूतल के समानंतर जैसे कुमाऊं में बाखली . जौनसार , नेलंग व रवाईं क्षेत्र . में बहुमंजिले लकड़ी के मकानों का प्रचलन है. अब धीरे धीरे सीमेंट गारे ने लकड़ी को घेरना शुरू कर दिया है जैसे प्रस्तुत बृनाड त्यूणी , चकराता , देरादून ) में चार बार विधायक रह चुके वर्तमान विधायक प्रीतम सिंह चौहान का आधुनिक नया आलिशान मकान है। प्रस्तुत भव्य आलिशान मकान की विशेषता है कि मकान आधुनिक है किन्तु पारम्परिक जौनसारी स्वरूप लिए है। आधुनिकता व जौनसारी परम्परा का मिलन है प्रीतम सिंह चौहान का भव्य मकान।

बृनाड ( त्यूणी , चकराता , देहरादून ) में प्रीतम सिंह चौहान का भव्य मकान तिपुर (1 +2 ) है व काष्ठ कला अलंकरण विवेचना हेतु तीनों मंजिल में काष्ठ कला को अलग अलग मंजिल में जांचना आवश्यक है।

बृनाड (देहरादून ) में प्रीतम सिंह चौहान के भव्य मकान के तल मंजिल में काष्ठ कला दृष्टि से खिड़कियों के दरवाजे व मुख्य प्रवेश द्वार (खोली ) पर ध्यान देना होगा। तल मंजिल में खोली के दोनों ओर दो दो क खिड़कियां है जिनके दरवाजों का कटान ज्यामितीय स्वरुप में हुआ है व कहीं भी बेल बूटे व मानवीय अलंकरण नहीं है।

बृनाड (देहरादून ) में प्रीतम सिंह चौहान के तल मंजिल में खोली भव्य है , सुंदर है. मेहराब युक्त खोली पर शानदार ज्यामितीय नक्कासी हुयी है व रंगों के विशेष प्रयोग ने खोली को बेहद दिलकश बना दिया है। खोली /प्रवेशद्वार के मुरिन्ड /मथिण्ड के ऊपर दोनों त्रिभुजों में प्रतीकात्मक खुदाई हुयी है जो संभवतया सौभाग्य व नजर न लगे का द्योत्तक हैं।

बृनाड (देहरादून ) में प्रीतम सिंह चौहान के भव्य मकान की बनावट जौनसारी शैली लिए हैं व कोई छज्जा पहले व दूसरे मंजिल पर नहीं है। मकान के पहले मंजिल में 14 स्तम्भ लगे हैं , जिन्होंने 13 खोली या मोरी बनाई हैं। इन मोरियों या खोलियों के ऊपरी भाग में तिपत्ति आकर के तोरण/मेहराब /arch निर्मित हुए हैं जो खूबसूर्रत नजारा पेश करते हैं। पहली मंजिल में बाकी स्थलों में काष्ठ अलंकरण में ज्यामितीय नक्कासी हुयी है।

बृनाड (देहरादून ) में प्रीतम सिंह चौहान के भव्य मकान के दूसरे मंजिल में भी छज्जा , बुर्ज , बालकोनी नहीं है या बालकोनियाँ ढकी हैं , इस मंजिल में कोई मोरी या खोली भी नहीं दिखती हैं किन्तु इस खंड में खिड़कियों का आभास होता है व यहां लकड़ी पर केवल इल्म -ए - हिंदसा नक्कासी (ज्यामितीय कल अलंकरण ) के दर्शन होते हैं. लकड़ी पर नक्कासी उमदा है सब जगह।

निष्कर्ष निकलता है कि बृनाड (देहरादून ) में प्रीतम सिंह चौहान के भव्य मकान कला दृष्टि व दर्शनीय दृष्टि से भव्य है और लकड़ी पर ज्यामितीय अलंकरण ही हावी रहा है बेल बूटों (प्राकृतिक अलंकरण ) का सर्वथा उपेक्षा की गयी है।

सूचना व फोटो आभार : अनिल कांडपाल

यह लेख कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी ,. सूचनाये श्रुति माध्यम से मिलती हैं अत: मिल्कियत सूचना में व असलियत में अंतर हो सकता है जिसके लिए संकलन कर्ता व सूचनादाता उत्तरदायी नही हैं .

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