गौं गौं की लोककला

पुजालटी (जौनपुर , टिहरी ) में राम लाल गौड़ की भव्य तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण

सूचना व फोटो आभार:: संजय चौहान

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 225

घेस ( देवाल , चमोली ) में एक मकान की खोली व मोरी /छाज (झरोखे ) में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्काशी - 225

(अलंकरण व कला पर केंद्रित )

संकलन - भीष्म कुकरेती

पौड़ी गढ़वाल व टिहरी गढ़वाल की तुलना में चमोली गढ़वाल व रुद्रप्रयाग गढ़वाल तिबारी व खोलियों के मामले में अधिक समृद्ध हैं। आज भी पारंपरिक मकानों के अवशेष ही नहीं सही सलामत मकान मिलते हैं। ऐसे ही घेस (देवल ब्लॉक , चमोली गढ़वाल ) से एक खोली व मोरी /छाज (झरना ) की सूचना मिली है जिसकी काष्ठ कला पर आज चर्चा होगी।

-:घेस (देवाल ) में खोली में काष्ठ कला , नक्काशी:- चमोली व रुद्रप्रयाग में कहावत प्रचलित है कि भजैक लईं कज्याण अर बिन खोली मकान इकजनि होंदन। यह कहावत घेस की खोली देख सही साबित होती है। खोली के दोनों ओर मुख्य सिंगाड़ या स्तम्भ सजे हैं। मुख्य सिंगाड़ या स्तम्भ तेतें उप स्तम्भों व दो दो कड़ियों के युग्म/ जोड़ से निर्मित हुए हैं।

उप स्तम्भों में कड़ी नुमे उप स्तम्भ सीधे आधार से ऊपर मुरिन्ड से मिल जाते हैं व मुरिन्ड के एक स्तर layer बनाते हैं। इन उप स्तम्भ या कड़ियों पर ज्यामितीय कटान छोड़ कोई विशेष नक्काशी नहीं दिखाई देती है। बाकी सभी तीन उप स्तम्भों में एक ही तरह की नक्काशी दिखाई दी है। इस प्रकार के उप स्तम्भ का आधार चौकोर जैसा कुछ है जिसके ऊपर उल्टा कमल दल है जी भड्डू जैसे आकृति बनाने में सफल है फिर ड्यूल है जिसके ऊपर फिर बड़ा अधोगामी पद्म पुष्प है जिसके ऊपर षट्कोणीय आकृति खुदी है जिसके ऊपर ड्यूल है और ड्यूल के ऊपर कुछ कुछ चौकोर उर्घ्वगामी कमल दल है। यहांसे सभी उप स्तम्भ shaft (कड़ी ) में बदल जाते हैं व ऊपर जाकर मुरिन्ड का एक स्तर ( layer ) बनाते हैं। कमल दल से ऊपर सभी कड़ियों में सुंदर आकर्षक बारीकी लिए प्राकृतिक जैसे फूल व हृदय आकृति फूल ; बेणी , सर्पीली लता आकृतियों आदि की नक्काशी हुयी है। मुख्य स्तम्भ के बाहर के उप स्तम्भ कड़ियाँ ऊपर वाले मुरिन्ड की तह /layer /स्तर बनाते हैं व भीतरी कड़ियाँ व उप स्तम्भ नींम तल के मुरिन्ड की तह /layer /स्तर बनाते हैं। निम्न तल के व ऊपरी तल के मुरिन्ड चौखट नुमा आकृति के हैं।

खोली में मेहराब : खोली के दरवाजों पर ब्रिटिश शैली में कटान हुआ है। ऊपर दरवाजों में कलश व शगुन आकृति व ऊपर फूल अंकित हैं। दरवाजों के ऊपरी भाग में स्तम्भ से मेहराब के काष्ठ आधार प्रकट होते हैं जो चारपाई /पलंग के पाए जैसे हैं। पाए जैसे आधार के बाद एक चौकोर गट्टा है जहां से मेहराब के स्कंध हुरु होते हैं। मेहराब के स्कंध पाए के ऊपर ऐसे लगते हैं जैसे झंडे हों। मेहराब के दोनों स्कंध में हाथी अंकित हुए हैं। मुरिन्ड के ऊपरी तह भी चौखट है जिसके दोनों किनारे में बहुदलीय (सूरजमुखी जैसे ) फूल , फिर गदा , पहाड़ी उठाये हनुमान मूरत , चतुर्भुज , कमलासन धारी लक्ष्मी मूरत व बीच में चतुर्भुजी गणपति अंकित हैं।

घेस के मकान में छाज /झरोखे या मोरी में काष्ठ कला अंकन :- चमोली व राठ इलाके में बहुत से मकानों में कुमाउँनी छाज संस्कृति का पूरा प्रभाव है। घेस के मकान के पहली मंजिल में भी छाज /झरोखा /मोरी है। छाज के ढुड्यार (छेद या झरोखा ) के दोनों ओर मुख्य स्तम्भ हैं। मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों से बने हैं व उप स्तम्भों में आधार पर नक्काशी लगभग /कमोबेश खोली के उप स्तम्भों जैसे ही है। केवल अंतर् फूलों आदि के ऊपर की नक्काशी का ही है। छाज के कमल फूल दलों के ऊपर प्राकृतिक कला अंकन हुआ है। उप स्तम्भ के ऊपरी कमल दल के बाद स्तम्भ चपटे कड़ियों में बदल जाते हैं व ऊपर मुरिन्ड के स्तर का भाग बन जाते हैं। चपटे कड़ियों के ऊपर पर्ण -लता आकृतिओं की नक्काशी मिलती है। ढुड्यार (छेद ) के निचले भाग को सपाट तख्तों से बंद किया गया है।

निष्कर्ष निकलता है कि घेस ( देवाल , चमोली ) में इस मकान की खोली में आकर्षक ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय कला अंकन हुआ है। नक्काशी बारीक व सधी है।

सूचना व फोटो आभार:: संजय चौहान

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . भौगोलिक , मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तुस्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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