गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार , बखाली , कोटि बनाल , खोली , मोरी ) में काष्ठ अंकन लोक कला अलंकरण, नक्कासी - 223
संकलन - भीष्म कुकरेती
ग्रामीण उत्तराखंड में तिबारी व निमदारी शैली खत्म हो रही हैं। किन्तु कुछ हैं जो शहरों में पारंपरिक शैली अपनाना चाहते हैं जैसे कि श्रीमती मालती रावत ने बडनेरा देहरादून में आधुनिक भवन में तिबारी निर्माण किया है। ऐसे ही ऋषीकेश से सुनील सिल्सवाल व रमाकांत भट्ट ने आधुनिक भवन के दूसरी /तीसरी मंजिल में गढ़वाली शैली स्थापना की सूचना व फोटो भेजी हैं।
ऋषीकेश में निर्मित होते आधुनिक मकान में चार खम्या -तिख्वळ्या (चार सिंगाड़ या चार स्तम्भ तथा . तीन ख्वाळ ) तिबारी स्थापित हो रही है या हो गयी है।
प्रत्येक स्तम्भ के आधार में आम तिबारियों जैसे उल्टे कमल से कुम्भी है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है। स्तम्भ की कड़ी (shaft ) कमल दल से लौकी आकार लेकर ऊपर चलता है। जहां पर स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां उलटा कमल दल उभर कर आता है, उल्टे कमल दल के ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कमल फूल की पंखुड़ियां (दल ) हैं। यहां पर सीधे कमल दल से स्तम्भ सीधे थांत का रूप धारण कर मुरिन्ड से मिल जाता है। यहीं से मेहराब भी बनता है। मेहराब तिपत्तिनुमा है। मेहराब के दोनों स्कंध (त्रिभुज ) में एक एक बहुदलीय फूल खुदे हैं।
निष्कर्ष निकलता है ऋषीकेश में एक आधुनिक मकान की तिबारी में प्राकृतिक व ज्यामितीय कला अंकन अलंकरण , नक्काशी हुआ है किन्तु मानवीय अंकन दृष्टिगोचर नहीं होता है।
सूचना व फोटो आभार : सुनील सिल्सवाल व रमाकांत भट्ट (कड़ती )
यह लेख कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी ,. सूचनायें श्रुति माध्यम से मिलती हैं अत: मिल्कियत सूचना में व असलियत में अंतर हो सकता है जिसके लिए संकलन कर्ता व सूचनादाता उत्तरदायी नही हैं .
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