गौं गौं की लोककला

संकलन

भीष्म कुकरेती

झैड़ (तल्ला ढांगू ) में दया नंदा मैठाणी, वीरेंदर मैठाणी, शम्भु प्रसाद मैठाणी की तिबारी प्रवेश द्वार पर काष्ठ कला

सूचना व फोटो आभार : पवन कुमार मैठाणी , झैड़ Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 29

Door wood Carving Art of House of Shyam Lal Maithani of Jhair Talla Dhangu

ढांगू गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों पर काष्ठ अंकन कला -29

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 36

( चूँकि आलेख अन्य पुरुष में है तो श्रीमती , श्री व जी शब्द नहीं जोड़े गए है )

संकलन - भीष्म कुकरेती

जैसा कि पिछले अध्यायों में बताया गया है कि झैड़ में चार पांच तिबारियां थीं और अब एक भी नहीं बचीं हैं क्योंकि गढ़वाल में जगह की कमी नहीं किन्तु मकान के लिए चट्टान के ऊपर जमीन होना व प्रकाशयुक्त होना अवहसिक है अतः शुरू से ही मकान हेतु स्थल की भारी कमी रही है। जिनके तिबारी वाले मकान थे उनके लिए तिबारी बचाना कठिन है अतः तिबारियों की जगह आधुनिक शैली के मकान बन रहे हैं।

झैड़ में श्याम लाल मैठाणी की शानदार तिबारी का भी यही हाल है उनके पुत्रों दया नंद मैठाणी उत्तराधिकारियों ने पहली मंजिल में तिबारी की जगह आधुनिक भवन बना दिया है। तल मंजिल में तिबारी प्रवेश द्वार या खोळी बची है जिसपर काष्ठ कला का खूबसूरत नमूना विद्यमान है।

खोळी याने तल मंजिल से पहले मंजिल जाने का भीतर ही भीतर आने का प्रवेश द्वार। श्याम लाल मैठाणी की तिबारी की खोळी में दो स्तम्भ (सिंगाड़ ) हैं जो के एक कड़ी से दीवार से जुड़े हैं। दिवार जोड़ु काष्ठ कड़ी पर ज्यामितीय व वानस्पतिक मिश्रित (geometrical and natural motif ) अलंकृत कला के दर्शन होते हैं। वानस्पतिक अलंकरण में लता व पत्ती आभास होता है।

सिंगाड़ /स्तम्भ /खम्बा पाषाण चौकी पर टिके हैं।

पाषाण चौकी से स्तम्भ का आधार जो ऊपरी स्तम्भ के मुकाबले चौड़ा व उभार लिए है में भी कलाकृति उत्कीर्ण है। फिर दोनों स्तम्भ /सिंगाड़ ऊपर आयाताकार मुरिन्ड ( शीर्ष पट्टिका ) से मिल जाते हैं। सिंगाड़ शाफ्ट पर ज्यामितीय व floral अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है। सिंगाड़ शीर्ष से कुछ नीचे से प्रत्येक सिंगाड़ से तोरण/ चाप /arch शुरू होता है. तोरण तिपत्ति नुमा है केवल मध्य में arch या चाप ogee type arch है।

तोरण के बाह्य पट्टिका पर पुष्प अलंकरण कला के दर्शन होते हैं। तोरण के उप्पर मुण्डीर है व फिर ऊपर आयताकार शीर्ष पट्टिका है। मुण्डीर के मध्य में बहुभुजी गणेश उत्कीर्ण हुआ है (मानवीय अलंकरण या figurative motifs ) . मुण्डीर पट्टिका व शीर्षस्थ पट्टिका दोनों में लता , पुष्प व ज्यामितीय अलंकरण हुआ है। कला की दृष्टि से पूरा प्रवेश द्वार उतकृष्ट उदाहरण है।

प्रवेश द्वार की काष्ट कला से अनुमान लगाना सरल है कि श्याम लाल मैथानी की तिबारी में भी कला उत्कृष्ट रही होगी। दरवाजे पर कोई कलाकृति नहीं उकेरी गयी है।

तिबारी लगभग 1940 से पहले की ही रही होगी व तिबारी (दो कमरों से बना बरामदा के काष्ठ द्वार ) कलाकार टिहरी गढ़वाल या उत्तरकाशी के ही रहे होंगे।

भीष्म जी आपसे निवेदन है कि यह खोली स्व. श्री श्याम लाल जी की नहीं है, यह खोली श्री दयानंद मैठाणी , स्व. श्री सच्चिदानंद मैठाणी व स्व. श्री शंभू प्रसाद मैठाणी जी के मकान की है। यह खोली इन तीनों घरों में जाने का संयुक्त प्रवेश द्वार है। इसलिए इस सूचना को ठीक कर लें, अर्थात श्याम लाल जी के नाम के स्थान पर उपरोक्त तीनों नामों का उल्लेख करने का कष्ट करें। सादर

सूचना व फोटो आभार : पवन कुमार मैठाणी , झैड़

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020