गौं गौं की लोककला

सेम भरदार (रुद्रप्रयाग ) में पूर्णा नंद डिमरी के मकान , खोळी में काष्ठ कला अंकन, लकड़ी नक्काशी

सूचना व फोटो आभार: हरीश डिमरी

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 210

सेम भरदार (रुद्रप्रयाग ) में पूर्णा नंद डिमरी के मकान , खोळी में काष्ठ कला अंकन, लकड़ी नक्काशी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , छाज कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्काशी-210

संकलन - भीष्म कुकरेती

रुद्रप्रयाग जिले से भव्य मकानों व बिलक्षणी मकानों की सूचना मिलती रहती है। आज सेम भरदार (रुद्रप्रयाग ) में पूर्णा नंद डिमरी के मकान व खोळी (प्रवेश द्वार ) में काष्ठ कला अंकन पर चर्चा होगी।

पूर्णा नंद डिमरी का मकान दुपुर , दुघर मकान है। मकान में खोळी छोड़ बाकी सब स्थलों में ज्यामितीय कटान कला दृष्टिगोचर हो रही है। अतः खोळी की कला पर ही ध्यान दिया जायेगा।

खोळी तल मंजिल तक ही सीमित है व अन्य मकानों की तरह पहली मंजिल तक नहीं गयी है। खोळी के दोनों ओर सिंगाड़ /सत्मव्ह हैं। प्रत्येक स्तम्भ दो दो उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बना है व उप स्तम्भ भी दो उप स्तम्भों के युग्म से बने है। उप स्तम्भ आधार पर मोटे हैं व कुछ ऊपर जाकर सीधे हो ऊपर मुरिन्ड की तह/layers बन जाते हैं। स्तम्भों पर बेल बूटों का अंकन है। मुरिन्ड के केंद्र मध्य में एक चौखट तोरण आकर आकृति के अंदर चतुर्भुज , पालथी मारे गणपति स्थापित हैं।

स्तम्भों के अगल बगल में मिट्टी पत्थर की चौखट दीवार है। इन चौखट दीवारों में मुरिन्ड के अगल बगल में छप्परिका से नीचे दोनों ओर दो दो दीवालगीर निकल कर स्थापित हैं। दीवालगीर में दो दो लघु लकड़ी के गट्टों के लघु स्तम्भ है, सबसे ऊपर का गट्टा हाथी आभास दे रहा है । लघु स्तम्भ केमध्य चौखट में दो दो फूल हैं एक फूल आम जन्म पत्री में बने चौकी के अंदर जैसे आकृति का फूल है व दूसरा फूल बहुदलीय सूरजमुखी जैसे आकृति का है।

निष्कर्ष निकलता है कि सेम भरदार के पूर्णा नंद डिमरी के मकान उच्च स्तरीय है व खोली में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है।

सूचना व फोटो आभार: हरीश डिमरी

* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी . मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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