गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार , बखाई ) काष्ठ , अलकंरण , अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 95
संकलन - भीष्म कुकरेती
सांस्कृतिक दृष्टी से जौनपुर गढ़वाल का एक महवतपूर्ण क्षेत्र है। जौनपुर ब्लॉक में पुजालटी गांव कृषि समृद्ध गाँव मन जाता है अब पलायन से कृषि मार खा रही है।
प्रस्तुत तिबारी पुजालटी गांव के स्व . राम चंद्र गौड़ ने निर्मित करवाई थी और कह सके हैं की रामचंद्र गौड़ ने तिबारी हृदय की गहराईयों से निर्मित करवाई है। एंड रदेवदारु की लकड़ी पर इस तरह की नक्कासी है कि लगता नहीं किसी सामन्य किसान की तिबारी है अपितु महल लगता है।
पुजालटी गांव में राम लाल गौड़ की मकान दुखंड /तिभित्या व तिपुर (तल मंजिल + दो मंजिल ) वाला मकान है.
पहली मंजिल पर स्थापित तिबारी में 14 देवदार काष्ठ के खूबसूरत स्तम्भ /सिंगाड़ हैं और ये 14 स्तम्भ तेरह मोरी /द्वार या खोली बनाते हैं। स्तम्भ आधा रकाष्ठ का चाओकोर डौळ हैऔर उस पर स्तम्भ की कुम्भी /पथ्वड़ शुरू होती है जो अधोगामी कमल दल की आकृति की है । अधोगामी मकल दल की समाप्ति पर डीला /ring type wood plate है व देले के ऊपर खूबसरत उर्घ्वगामी पद्म दल है। उर्घ्वगामी व अधोगामी कमल दल में दल या पंखुड़ियों पर कोई चित्रकारी है अपितु सपाट हैं और खूबसूरत हैं। जहां पर उर्घ्वगामी पद्म दल समाप्त होता हैवहां से स्तम्भ की मोटाई कम होती जाती है और जब सबसे कम मोटाई आती है तो वहां डीला है व डीले के ऊपर सीधा स्तम्भ का थांत (bat blade ) शुरू होता है व दूसरे ओर मेहराब का अर्ध चाप शुरू होता है जो दूसरे स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर पूर्ण चाप arch /खोली निर्मित करता है। स्तम्भ थांत व मेहराब छत आधार पट्टिका से मिल जाते हैं। अंदर लम्बे बरामदे या बैठक /तिबारी में छत व दीवारों में कष्ट कलाकारी देखने लायक है और आश्चर्य है कि साडी कला ज्यामितीय ही है व सरल है। कला में कहा जाता है कि सबसे कठिन कार्य सरल कला रचना है। राम लाल गौड़ की भव्यतम तिबारी में कला अपने सरलतम रूप में है किन्तु नयनभिराम सर्वाधिक है ।
तिबारी या मकान भव्य है व् महान है , बड़ी तिबारियों में एक ुफड़ाहरण है राम लाल गौड़ की तिबारी . कहा जाता है कि जौनपुर में इस तरह की केवल दो त्याबरियाँ ही थीं।
सूचना मिली है कि जब स्व राम चंद्र गौड़ ने तिबारी निर्माण करवाया था तो एक स्तम्भ की कीमत रूपये 60 आयी थी जो उस समय भारी रकम मणि जाती थी। मकान लगभग 1925 के आस पास ही निर्मित हुआ होगा।
निष्कर्ष निकलता है कि राम लाल गौड़ की तिबारी वाला मकान भव्य क्या भव्य तम हैऔर ज्यामितीय व वनस्पतीय अलंकरण से नयनाभिरामी कला उत्कीर्ण हुयी है।
सूचना व फोटो आभार : हर्ष डबराल
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