"संस्कार"

पिछले वर्ष मदर्स डे के दिन की घटना है। मैं आनंद विहार से राजीव चौक तक की मैट्रो में यात्रा कर रहा था I महिला अारिक्षत डिब्बे के बाद वाले डिब्बे में बुजुर्गों और विकलांग रिजर्व सीट के सामने खड़ा था I उस सीट पर एक अधेड़ उम्र की महिला व उसका लगभग 28वर्षीय वेटा बैठा हुआ था I इंद्रप्रस्थ स्टेशन से एक बुजर्ग चढ़े । उस सीट के पास आकर उस लड़के से सीट देने का निवेदन करने लगा I लेकिन लड़का अपने मोबाइल पर खेलने में मस्त था । उसकी माँ ने भी देख कर अनसुना कर दिया I

उस बुजुर्ग की स्थिति भांपकर मुझसे रहा नहीं गया। आदतन बीच में पड़ते हुए उस लड़के के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा," बेटे, खड़े हो जाओ क्योंकि यहाँ लिखा हुआ है कि यह सीट वरिष्ठ नागरिक और विकलांगो के लिए रिज़र्व है। इन भाई साहब को बैठने दो ।"

लड़के ने मेरी अोर घूरा । कहा, " लिखा तो बहुत जगह है, मैं खड़ा नहीं हूंगा।मुझे बहुत दूर द्वारका सेक्टर -21तक जाना है I"

माँ-बेटे दोनो शक्ल तथा पहनावे से पहाड़ी लग रहे थे I अब मैंने उसकी माँ की तरफ मुख़ातिब होकर कहा," आप पहाड़ी लग रहे हैं। मैं भी पहाड़ी हूँ। हम लोग संस्कारी होते हैं। आपने अपने बेटे को अच्छे संस्कार नहीं दिए जो वह आपके सामने भी ऐसी बातें कर रहा है? बुर्जर्ग को सीट नहीं दे रहा है "I

लेकिन उन दोनों पर मेरी बातो का कोई असर न हुआ।बेटा मोबाइल में और माँ खिड़की के बाहर के नज़ारे देखने में मस्त रहे I दोनो बड़े सहनशील कहो या बदतमीज़ ! उनके कiन पर जू नहीं रेगी I

खैर, अगले स्टेशन मण्डी हाऊस से एक 70-75 वर्ष की माता जी चढ़ गई । उसी सीट की तरफ़ बढ़ने लगी जिस पर वह लड़का व उसकी माँ बैठे थे। I मैने कहा, "अब तो खड़ा हो जा, आज मदर्स डे भी है, माता जी की तो आज के दिन इज़्ज़त कर ले" I अंतत: तब तक उसकी माता जी एवं उसके दिमाग़ में मेरी बकबास का असर पड़ चुका था । न चाहते हुए भी उसने माता जी को सीट दे दी I माताजी ने बैठते ही पानी की ठंडी बोतल लड़के व उसकी माँ को ऑफर करते हुए धन्यवाद किया। बोली," अब तो द्वारका तक बैठकर सफर करुंगी। " लड़के और उसकी माँ ने कोई जबाब नहीं दिया I

जब तक मैं राजीव चौक उतर नहीं गया वो लड़का मुझे बीच-बीच मैं घूरता रहा I मैं सोचता रहा कि मैने जो कुछ किया वो उसको संस्कारी बनाएगा या और उदंडी ?