ढांगू , डबरालस्यूं , उदयपुर, अजमेर , लंगूर , शीला गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों पर काष्ठ अंकन कला -28
Traditional House wood Carving Art of West Lansdowne Tahsil (Dhangu, Udaypur, Ajmer, Dabralsyun,Langur , Shila ), Garhwal, Uttarakhand , Himalaya 28
उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 35
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya - 35
संकलन - भीष्म कुकरेती
कभी जनता तटीय गाँव दाबड़ कृषि में समृद्ध गाँव खुशाली थी तो मकान निर्माण में भी समृद्धि दिखती थी। ऐसी ही एक तिबारी है दाबड़ के बद्री सिंह राणा की। तिबारी अब जीर्ण शीर्ण अवस्था में जाने वाली है किन्तु काष्ठ कला बताती है कि तिबारी ढांगू की तिबारियों में उच्च कला युक्त तिबारी कही जाएगी।
बद्री सिंह राणा की उच्च कोटि की काष्ठ कला युक्त तिबारी तिभित्या मकान (तीन भीत /दीवाल याने एक कमरा बाहर व एक अंदर ) की पहली मंजिल पर दो कमरों के बरामदा के बाहर बनी है। तिबारी पत्थर की देहरी (उप छज्जा ) पर टिकी है। तिबारी में चार काष्ठ स्तम्भ/ खाम हैं जो देहरी के ऊपर चार चौकोर पत्थर के डळे पर स्थित हैं। किनारे के स्तम्भ दीवार से नक्कासीदार कड़ी से जुड़े हैं। जोड़ू कड़ी पर ज्यामितीय व वनस्पतिक मिश्रित शानदार नक्कासी है यद्यपि वनस्पति का केवल आभास होता है।
स्तम्भ एक आधार याने कुम्भी /तुमड़ी /पथ्वाड़ अधोगामी पदम् पुष्प दल (Downward Lotus Petals ) से बना है। स्रम्भ के कुम्भी याने अधोगामी कमल पुष्प के ऊपरी भाग में गोल डीला (wood Plates ring ) है। डीले के ऊपर से उर्घ्वगामी कमल पुष्प दल (upward lotus flower ) शुरू होता है और दलान्त के ऊपर से स्तम्भ के मोटाई/गोलाई कम होती जाती है। इस कड़ी (shaft of Column ) पर भी वानस्पतिक नक्कासी हुयी है। कड़ी के ऊपरी भाग में उलटा कमल दल है और जिसके ऊपर फिर से डीला है। डीला से उर्घ्वगामी कमल दल दीखता है व यहीं से तिबारी चाप (arch ) या trefoil /तिपत्ती मेहराब भी शुरू होती है। कड़ी एक बड़े चौड़े थांत (bat ) शक्ल में बदल जाता है एवं ऊपर मुण्डीर /शीर्ष से मिलता है। थांत पर एक नकसी युक्त ब्रैकेट जुड़ा है। ब्रैकेट में वानस्पतिक व मानवीय छवि लिए कलाकारी है एक तरफ पक्षी आभाष भी मिलता है (perceptional art ). ब्रैकेट के ऊपरी भाग में लकड़ी का cross नुमा आकृति भी बिठाई गयी है। मुण्डीर छत के छज्जे से जुडी है। चारों स्तम्भों में कला एक जैसी है।
चाप तिपत्ती नुमा है। चाप के बाहर की पट्टी में किनारे पर चक्राकार पुष्प सुशोभित हैं। मेहराब की चापें ऊपर मुण्डीर पट्टी से मिलती हैं। शीर्ष /मुण्डीर पर नकासी हुयी है मध्य में नजर न लगे का प्रतीकात्मक चिन्ह जुड़े हैं।
कला की दृष्टि से दाबड़ में बद्री सिंह राणा की तिबारी उच्च स्तर की कही जायेगी . तिबारी में पशु नहीं अनकट हैं। वानस्पतिक व ज्यामितीय कला का उत्कृष्ट नमूना है बद्री सिंह राणा की तिबारी में काष्ठ कला।
सूचना व फोटो आभार : ममता राणा व सत्यप्रसाद बड़थ्वाल
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