गढ़वाली कविता
बालकृष्ण डी. ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुर
हरचन लग्यां छन
हरचन लग्यां छन
हरचन लग्यां छन
हरचन लग्यां छन
यख सबि अफी अफ मां
संभाळ सकी नि जिम्मेदारी
दोष देण तू बता कैमा
अपड़ा अपडों ते देखिकि
वो स्वांग अजानु का
कन रचणा छन
नि जाणा किलै कै बाण
किलै धैरी तिल बता
अप्डी मुथि ते यन बोती कि
ले जाणा जैल बी जैकु होलो वो
तेरु नि छै नि होलो कबि
सचि तुम समझी ग्यां
मेरा मनकि बात
समझै कि बी नि समझी
समझ कैरि बी क्या कनै
हरचन लग्यां छन