गौं गौं की लोककला

साबळी (बीरोंखाळ) में बहुखंडी परिवार के मकान में काष्ठ कला

सूचना व फोटो आभार : बाचस्पति बहुखंडी , साबळी

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 183

साबळी (बीरोंखाळ) में बहुखंडी परिवार के मकान में काष्ठ कला

साबळी (बीरोंखाळ ) में बहुखंडी परिवार के मकान में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी

Tibari House Wood Art in Sabli , Bironkhal , Pauri Garhwa l

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - 183

(लेख अन्य पुरुष शैली में है और जी , श्री नहीं हैं )

संकलन - भीष्म कुकरेती

पौड़ी गढ़वाल के बीरोंखाळ क्षेत्र का गढ़वाल में ऐतिहासिक , सामजिक व सांस्कृतिक महत्व है। इसी तरह कैलाड़ खंड में में साबळी गांव भी महर्वपूर्ण गाँव है। साबली से बहुखंडी पधान की तिबारी की सूचना देते हुये बाचस्पति बहुखंडी ने लिखा है कि बहुखंडियों प्रथम पुरुष अखिला नंद बहुखंडी पंडिताई हेतु गुसाईं भूस्वामी के निमंत्रण पर 1812 -18 15 लगभग साबली में बसे। अखिला नंद बहुखंडी के पुत्र धनीराम बहुखंडी ने प्रस्तुत तिबारी युक्त मकान 1860 -65 के लगभग निर्माण किया था। आज भवन में बहुत से परिवर्तन हो चुके हैं व मकान अब पधान राजकुमार बहुखंडी के स्वामित्व में है।

मकान दुपुर , दुखंड /दुघर मकान है व तिबारी पहली मंजिल पर है। कला , अलंकरण दृष्टि से मकान में तिबारी व पहली मंजिल के तिबारी के अगल बगल में दो कलयुक्त काष्ठ आकृति की ओर ध्यान देना होगा। तल मंजिल में दो कमरों के सिंगाड़ -दरवाजों , पहली मंजिल के एक कमरे के सिंगाड़ व दरवाजों व खिड़कियों में काष्ठ कला केवल ज्यामितीय कटान तक सीमित है।

तिबारी चौखम्या व तिख़्वळ्या है। सभी स्तम्भ /खम्बे /सिंगाड़ एक सामान हैं। स्तम्भ /सिंगाड़ पत्थर की देहरी के ऊपर पत्थर डौळ के ऊपर स्थापित हैं। स्तम्भ आधार की कुम्भी उल्टे कमल फूल से बनी है। उल्टे कमल के ऊपर ड्यूल है व उसके ऊपर सीधा खिला कमल फूल है। यहां से स्तम्भ लौकी का आकर अख्तियार करता है। जहां पर स्तम्भ सबसे कम मोटा है वहां उल्टा कमल आकृति है व उसके ऊपर ड्यूल है। ड्यूल के ऊपर खिला सीधा कमल फूल है / यहां से स्तम्भ दो भागों में विभक्त हो जाता है। एक भाग सीधा ऊपर थांत की शक्ल अख्तियार कर मुरिन्ड /शीर्ष से मिल जाता है। थांत (cricket bat blade type ) के ऊपर कुछ अलकंरण हुआ है। जहाँ से स्तम्भ थांत आकृति रूप लेता है वहीँ से मेहराब का आधा भाग भी शुरू होता है जो दुसरे स्तम्भ के आधा मेहराब भाग से मिलकर पूरा मेहराब बनता है। मेहराब में अंदर कटान तिपत्ति (trefoli ) नुमा है। मेहराब के बाहर त्रिभुजों के हर किनारे एक बहु दलीय फूल उत्कीर्णित हुए हैं व तीरभुज में मछली नुमा या कोई जानवर भी अंकित हुआ है। मुरिन्ड / शीर्ष में अंकन का पता नहीं चल सक रहा है।

तिबारी के मध्य भाग में दीवार पर तिबारी व खड़कियों के मध्य एक एक काष्ठ चौखट (decorative ) आकृति फिट है। प्रत्येक चौखट आधार पर प्रतीकात्मक आकृति उत्कीर्ण हुआ है व जिसके ऊपर हाथी आकृति अंकित हुयी है।

निष्कर्ष निकलता है कि सांबळी (बीरोंखाल ) में बहुखंडी परिवार (पधानुं तिबारी ) की तिबारी व मकान में जायमितीय , प्राकृतिल व मानवीय ( geometrical , natural and figurative ornamentation ) तीनों तरह के अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है।

सूचना व फोटो आभार : बाचस्पति बहुखंडी , साबळी

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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