गौं गौं की लोककला
फल्दाकोट मल्ला (यमकेश्वर ) में शार्दुल सिंह पयाल की निमदारी में काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन , नक्कासी
सूचना व फोटो आभार : सी पी कंडवाल व ठाकुर बलवंत सिंह पयाल
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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020
उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 135
फल्दाकोट मल्ला (यमकेश्वर ) में शार्दुल सिंह पयाल की निमदारी में काष्ठ कला अलंकरण उत्कीर्णन , नक्कासी
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , बखाई , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 135
संकलन -भीष्म कुकरेती
पिछले अध्यायों में चर्चा हो चुकी है कि उदयपुर पट्टी के फल्दाकोट मल्ला पुलिस विभाग के कर्मचारी होने के कारण पुरे क्षेत्र में प्रसिद्ध गाँव है. आज भी फल्दाकोट वालों की पहली चाहत पुलिस नौकरी है। यहां तिबारियों का नहीं अपितु निम दारी निर्माण का रिवाज अधिक रहा है। अनभ्वतया पश्चिम गढ़वाल में तिबारी शिल्पियों के परिवार का न होना एक कारण होगा व दूसरा व्यक्तिगत स्तर पर तूण /चीड़ की कमी।
आज शार्दुल सिंह पयाल की निमदारी की चर्चा होगी। फल्दाकोट के शार्दुल सिंह पयाल का दुपुर मकान दुखंड /तिभित्या मकान है व पहली मंजिल पर लकड़ी का जंगला बंधा है। बड़ी बड़ी खड़कियों से साफ़ जाहिर है कि मकान 1950 के पश्चात ही निर्मित हुआ होगा।
आठ स्तम्भों के जंगले दार निमदारी में ज्यामितीय अलंकरण अंकन हुआ है। स्तम्भों में कोई प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण (motifs ) के दर्शन नहीं होते हैं। निमदारी अपनी सरल कला के कारण ही भव्य बन पड़ी है। एक समय शर्दुल सिंह की निमदरी गांव की शान थी , उदयपुर की आन -बान थी व सामजिक कार्यों में काम भी आती थी। अब बीरान सी दिखती है।
सूचना व फोटो आभार : सी पी कंडवाल व ठाकुर बलवंत सिंह पयाल
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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