उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -19

उत्तराखंड परिपेक्ष में मटर का इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में दालों /दलहन का इतिहास -भाग 8

उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --19

उत्तराखंड परिपेक्ष में मटर का इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में दालों /दलहन का इतिहास -भाग 8

उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --19

आलेख : भीष्म कुकरेती

Botanical Name- Paisum sativum

Common Name- Pea

मटर पहाड़ों में यदा कदा ही बोया जाता था. प्याज के बोने का चलन था। मटर की पैदावार से अधिक स्युंचणा की पैदावार प्याज के साथ अधिक होती थी।

मैदानी हिज्जे में मटर अधिक बोई जाती है।

बर्मा -थाईलैंड पर प्रागऐतिहासिक 9000 BC में मटर प्रयोग के चिन्ह मिले हैं।

ईराक में 7000 BC के मटर अवशेस मिले हैं

स्विट्जर लैंड और हंगरी में 3000 BC के जाती के मटर अवशेष मिले हैं।

500 BC समय यूनान और रोम में सूखे मटर बनता था.

रोम के अपिसियस (25 BC ) ने कुकबुक मे मटर के नौ भोजन विधि का उल्लेख किया है।

हड़प्पा संस्कृति काल (3000 -2200 BC ) में मटर अफगानिस्थान , भारत में उपलब्ध था।

किन्तु संस्कृत में मटर का उस तरह उल्लेख नही है।

अमरसिंह के संस्कृत अमरकोश (200 BC ) में मटर (जैसी?) दाल का नाम सतीना , खंडिका और हरेणु नाम दिया है। बाद के संस्कृत साहित्य में कलय (चना ) नाम भी मटर के लिए उल्लेख हुआ है

बृहत संहिता (600 AD ) में मटर के लिए बटाला नाम आया है और मटर को कन्नड़ी , मराठी व तेलगु में वटाणा /वटाणी कहते हैं जब कि तमिल में पटणी।

उत्तरी भारत में मटर को मटर कहते हैं। उत्तराखंड में कब मटर की खेती प्रवेश के बारे में कम ही ज्ञान है .

सहारनपुर के हुलास में हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों (2000 -1000 BC ) से पता चलता है Jjane Mclntosh 2008) की यहाँ मटर की खेती होती थी। तो यह तय है कि इस काल (2000 -1000 BC ) में मटर गढ़वाल -कुमाऊं के भाभर क्षेत्र और हरिद्वार में तो प्रवेश कर ही चुका होगा।

मटर जैसा फलियों वाले पौधे (कच्चे बीजों का स्वाद मीठा नही होता ) को स्यूंचणा (स्युं = सहित , चणा =चना ) कहते हैं। इसका एक अर्थ यह भी लगा सकते है कि स्यूंचणा गढ़वाल -कुमाऊं में चने के बाद ही आया होगा।

वाट (1889 ) ने India me मटर उत्पादन का जिक्र किया है।

उत्तराखंड में कच्चे मटर का तरीदार , सूखा साग व कई अन्य सब्जियों के साथ मिश्रित साग भी बनता है। मटर की बिरयानी , पुलाव, खिचड़ी तो प्रसिद्ध भोजन है। मटर का सूप भी बनाया जाता है। उबाल कर भरीं रोटी, भर्यां स्वाळ , सलाद भी प्रयोग होता है। सूखे मटर का रयॉ ऐसे ही होता है जैसे चना। भूख लगी हो तो कच्चे दाने भी चबाये जाते हैं। चखना या चबेना (बुखण ) , व् नमकीन (फरसाण ) में मटर प्रयोग होता है।

मटर का उपयोग डब्बाकरण (1800 AD ) तकनीक विकसित होने पश्चमी देशों में बढा और फ्रोजन फ़ूड तकनीक (1920 AD ) आने से मटर उद्योग को लाभ पंहुचा ।

Copyright @ Bhishma Kukreti 23/9/2013