पैलि स्वीणौ जाजम उड़ंदि लोग ।

फिर खैपेकि कीसा झड़ंदि लोग ।।


हैंका तैं दारु जुआ लत लगैकि ।

भितरा गैंणा पाता गड़ंदि लोग ।।


दुसळ्या बणि कंदुड़ भ्वरदि ।

द्वि भयुं आपसम लड़ंदि लोग ।।


जाड़ा काटि मथि पाणी चर्दि ।

कठ्युळ करैकि छड़ंदि लोग ।।


चल्दि कूड़ि धुँआंरोळि कैरि ।

सज ल्हेकि द्वार रड़ंदि लोग ।।


कुंगळि जिकुड़ि हंकार भोरि ।

लारा-लत्ता चट फड़ंदि लोग ।।


बक्की बात क तमोसू करैकि ।

नांगा कपाळ ढ़ाँडू प्वड़ंदि लोग ।।


घात हंकार फिटकार लगैकि ।

मनख्यात बेजाम सड़ंदि लोग ।।.

✍🏻ल्यख्वार-

©®✍🏻वीरेंद्र जुयाल उपिरि

फरसड़ि पलतीर क्लब

दिनांक-15-05-020.