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मज्यूड़ (टिहरी गढ़वाल ) में विक्टोरिया क्रॉस अवार्डी गब्बर सिंह नेगी की तिबारी में काष्ठ कला व अलंकरण

सूचना - फोटो आभार - बिक्रम तिवारी , 'Vicky '

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उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 86

मज्यूड़ (टिहरी गढ़वाल ) में विक्टोरिया क्रॉस अवार्डी गब्बर सिंह नेगी की तिबारी में काष्ठ कला व अलंकरण

टिहरी गढ़वाल , उत्तराखंड , हिमालय में भवन काष्ठ कला अंकन - 4

गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बखाई ) काष्ठ , अलकंरण , अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 86

संकलन - भीष्म कुकरेती

शहीद गबर सिंह नेगी का जन्म 21 अप्रैल 18 85 को मज्यूड़ (चम्बा नितक , टिहरी गढ़वाल ) में हुआ था। विक्ट्रिया क्रॉस अवार्डी गब्बर सिंह नेगी 1913 में गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए थे व प्रथम विश्व युद्ध में 1915 में लड़ते लड़ते न्यू सैफल में 20 वर्ष की आयु में शहीद हुए , ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सर्वोच्च अवार्ड विक्टोरिअ क्रॉस अवार्ड से नवाजा था।

उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला व अलंकरण श्रृंखला में मज्यूड़ में विक्ट्रिया क्रॉस अवार्डी गब्बर सिंह नेगी की तिबारी में काष्ठ कला व अलंकरण पर चर्चा करेंगे। आज जो सूचना मिली है उससे प्रतीत होता है की तिबारी ध्वस्त ही हो गयी है। गब्बर सिंह नेगी का परिवार गर्रेब परिवार था अतः सरलता से अनुमान लगाया जा सकता है कि शहीद गब्बर सिंह नेगी की तिबारी 1915 -1920 में मध्य ही निर्मित हुयी होगी।

चार स्तम्भों व तीन द्वार /मोरी /खोळी वाली तिभित्या /दुखंड मकान की पहली मंजिल पर है व पाषाण छज्जे पर टिकी देहरी /देळी के ऊपर टिकी है। स्तम्भ देहरी पर पत्थर के चौकोर डौळ के ऊपर हैं। स्तम्भ आधार या कुम्भी अधोगामी कलम पंखुड़ियों से बना है , फिर ऊपर की ओर गोल व बड़ा डीला है , डीले के ऊपर ऊर्घ्वाकार पद्म पुष्प दल है। इस के बाद स्तम्भ सीधा ऊपर जाता है व फिर एक डीला बना है व डीले के ऊपर ऊर्घ्वाकर कमल दल है ाव अंत में जहां से स्तम्भ छत आधार पट्टिका या कड़ी से मिल जाते हैं। शीर्ष में /मुरिन्ड में कोई arch /चाप /मेहराब नहीं है व मुरिन्ड चौखट है। विक्टोरिया क्रॉस अवार्डी शहीद गब्बर सिंह नेगी की की तिबारी में कहीं भी मानवीय /figurative अलंकरण नहीं हुआ है।

वैसे गढ़वाल में 1950 तक निर्मित होने वाले तिबारियों व विक्टोरिया क्रॉस पारितोषिक प्राप्त शहीद गब्बर सिंह नेगी की तिबारी (निर्माण काल 1915 -1920 ) में विशेष अंतर् नहीं दीखता है याने गढ़वाल में इतने वर्ष तिबारी कला व निर्माण शैली शैली कुछ उच्च जड़वत रही कोई विशेष विकास नहीं हुआ।

शहीद गब्बर सिंह नेगी की तिबारी का महत्व उनके शहीद होने , विकटरोइया क्रॉस पारितोषिक के अतिरिक्त इसलिए भी महत्व है कि इस तिबारी को 1915 समय की एक स्टैंडर्ड तिबारी शैली मना जा सकता है व समय व शैली के अध्ययन में तुलना करने में सुविधा होगी।

सूचना व फोटो आभार : वर्चुअल बाबा इंटरनेट

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