सादर शुभ संध्या प्रिय मित्रों... पेश-ए-खिदमत है.. एक नई रचना..
"कोरोना के साइड इफेक्ट्स"
"कोरोना के साइड इफेक्ट्स"
दौर मुश्किल है, सूनी हैं गलियां भले,
घर मगर आजकल चहचहाने लगे हैं !!
रोटियां खा रहे, संग सब बैठकर,
घर के सब लोग,जाने पहचाने लगे हैं !!
कंकरीटों के जंगल, उगाये बहुत,
जानवर उनमें अब आने जाने लगे हैं !!
थे जलाशय जो गंदे, मलिन थीं नदी,
अक्स उनमें नजर आज आने लगे हैं !!
हैं पड़े सूने होटल औ' डिस्को सभी,
पूल' में पक्षी बंदर, नहाने लगे हैं !!'
नज़र आता है मंजर, धुला सा हुआ,
रौनकें देखने को, जमाने लगे हैं !