काम धंधों का शुरू होना जरूरी है।
गाँव से अब लौटना उनका जरूरी है।
कर रहे हैं खोज वैज्ञानिक सभी अब,
भाज कोविड भागना तेरा जरूरी है।
भूख से कोई न तड़पेगा जमाने में
काम सबके हाथ में होना जरूरी है
फैलती है जब महामारी कभी जग में,
तो गरीबों पे असर पड़ता जरूरी है।
कह रहा जयपाल जीवन में हमेशा ही,
हर किसी के हाथ में पैसा जरूरी है।
पुण्याँ छवु क्वारंटाइन मा।
कंड्या जब बटि यु कोरोना।
छिंई मजदूर बौलैणा।।
नि मिलणी चा कखी ध्याड़ी।
भितर नींच अनै दांणी।।
ग्वट्यां कख राव कखि इन मा।
पुण्याँ छवु क्वारंटाइन मा।।
न वखि रै साक जख छाया।
न अपणा घोल फर गाया।।
सड़क खालि पुणी छींईं।
न मिलणीं गाड़ि मोटर क्वी।।
हिटिकि पौंछा कयी दिन मा।
पुण्याँ छवु क्वारंटाइन मा।।
विधा- गीत, आधार छंद-गीतिका
( ग़ज़ल रामलीला)
2122-2122-2122-212
राम ही की भक्ति में अपनी भलाई जानिए।
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क्वारंटाइन हूंण प्वाड़लु , तब नंगालू केर क्वी।
केर गाँवै की नंगै नी, निकल़लू अब भैर क्वी।।
जब तलक टीका नि बणदू , अबि जरसि तुम ठौ रखा।
नै जमन मा जन चंदौ सबि, उनि बणाकी गौं रखा।।
क्यो नि मीललि कमियाबी, आपसम जब मेल हो।
हम अट्यरला पीनS थैं ता, कन्नि निकल़लु तेल हो।।
खोज बैज्ञानिक कना छीं, अब नि लगणी देर क्वी।
केर गाँवै तब नंगैल्या, जब नि रैली डैर क्वी।।
बाँजि फांगी चल्दी ह्वेली, हैल़-तांगल़ साजला।
खेति मा जब हम दिख्योला,गूंणि-बांदर भाजला।।
जतग पौंछी गीं अभी,कुछ बाद मा भी पौंछला।
फिर किलै नी लगला हमरा,गौं क गौं तब रौंत्यल़ा।।
अबित हौरी आंण लुखुला,रैगिईं जो शैर क्वी।
डार का नी निकल़ि सकणा, छीं अज्यूं जो भैर क्वी।।
राम की ही भक्ति में अपनी भलाई जानिए।
फोटो सौजन्य से- फेसबुक