म्यारा डांडा-कांठा की कविता
रवीना राणा
रवीना राणा
रा.उ.मा.वि. पाला कुराली, जखोली, रूद्रप्रयाग
रा.उ.मा.वि. पाला कुराली, जखोली, रूद्रप्रयाग
डांडी कन दिखेंणि च
डांडी कन दिखेंणि च
मेरा पाड का फुलून,
धर्ती गौंकि सजणीं च,
बनि-बनि, हैर्यालि मा,
डांडी कन दिखेंणि च।
क्यैक काटदा तुम डाळयू?
यि डाळी गौं कि शान छिन,
रुंडा-मूंडा भम्माण मा,
पाड बेकार लगणू च।
मेरा पाड मा ऊंचि नीसी धार,
बसंत रितु, फूलू -फुलार,
अबत फुलार मुश्किल दिखेणी च!
पाड कि शान हैर्यालि हरचणीं च।
पुग्ण्यूं धिस्वाळ,
फ्यौलि का फूल,
भला स्वांणा सजणां छिन
बांज-बुरांश बणूं बासदू हिलांश
लकदक काफल लग्या छिन।
© रवीना राणा
रा.उ.मा.वि. पाला कुराली, जखोली, रूद्रप्रयाग