गौं गौं की लोककला

तल्ला इडा (एकेश्वर, पौड़ी गढ़वाल ) में सिपाई नेगियों के क्वाठा भितर का प्रवेश द्वार में काष्ठ कला , अलंकरण या नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : उमेश असवाल , एकेश्वर

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 132

तल्ला इडा (एकेश्वर, पौड़ी गढ़वाल ) में सिपाई नेगियों के क्वाठा भितर का प्रवेश द्वार में काष्ठ कला , अलंकरण या नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - 132

(कला , अलंकरण केंद्रित )

संकलन - भीष्म कुकरेती

एकेश्वर , चौंदकोट समृद्धि व वीरता व सामजिक कार्यो में त्याग, सामूहिकता के लिए प्रसिद्ध रहा है। सलाण में चौंदकोट की बांद , चौंदकोट के सफेद शानदार सींगदार - हळया बल्द , कुछ जगह तिबारी निर्माण हेतु चौंदकोट्या मिस्त्री भी प्रसिद्ध रहे हैं। समृद्धि हो वीरता हो तो तिबारियां व क्वाठा भीतर होना लाजमी है। तल्ला इडा में सिपाई नेगिओं का क्वाठा भीतर प्रसिद्ध इमारत रही है। क्वाठा शब्द कोष्टक याने कोष्ठ से बना शब्द है कोष्ठक याने मकान में तीन ओर घर हैं व एक प्रवेश द्वार व बीच में सामूहिक चौक। ढांगू में ग्वील के आज के क्वाठा भीतर देखने से या उच्चाकोट व सिरकोट के पुराने क्वाठा भीतर देखकर साफ़ जाहिर हो जाता है कि क्वाठा भितर का अर्थ है कोष्ठ { } या () में घर।

इसी तरह पौड़ी गढ़वाल के चौंदकोट क्षेत्र में एकेश्वर मंडल में तल्ला इडा का क्वाठा भितर है (पिछले अध्याय 100 वीं कड़ी ) में सिपाई नेगियों के क्वाठा भितर का अंदरूनी भाग पर चर्चा हो चुकी है। आज बाह्य प्रवेश द्वार या मुख्य द्वार पर चर्चा की जायेगी . सिपाई नेगी परिवार पंवार वंशीय गढ़वाल राजा व ब्रिटिश राज में प्रसिद्ध भड़ों के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं। कहा जाता है कि जिस क्वाठा की चर्चा हो रही है उस क्वाठा में जेल भी थी व इष्टवाल की सूचना अनुसार अपराधियों को दंड विधान का इंतजाम भी था , घुड़साल भी थी।

तल्ला इडा में सिपाई नेगियों के क्वाठा भितर प्रवेश द्वार में काष्ठ कला, अलंकरण , नक्कासी समझने हेतु नमन स्थलों में ध्यान देना आवश्यक है -

१- मुख्य द्वार में अंदरूनी खोली, के सिंगाडों /स्तम्भों , दरवाजों , मुरिन्ड में काष्ठ कला , लकड़ी पर नक्कासी

२- मुख्य द्वार के बाह्य मेहराब में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी

३- तल मंजिल में मुख्य द्वार के दोनों ओ र चोबदारों (सुरक्षा कर्मी ) के बैठने या खड़े रहने के बुर्जनुमा काष्ठ संरचना में कला -अलंकरण या नक्कासी

४- पहली मंजिल में चोबदार कोष्टक के ठीक ऊपर बुर्ज में काष्ठ कला -अलंकरण या नक्कासी व ऊपर छत पट्टिका से आते दिवालगीरों व अन्य स्थलों में काष्ठ कला -अलंकरण अंकन या नक्कासी

५- दूसरे मंजिल में तिबारी नुमा काष्ठ संरचना में कला -अलंकरण अंकन या नक्कासी

१- तल्ला इडा के सिपाई नेगियों के क्वाठा के मुख्य द्वार में अंदरूनी खोली, के सिंगाडों /स्तम्भों , दरवाजों , मुरिन्ड में काष्ठ कला , लकड़ी पर नक्कासी :- मुख्य द्वार या खोली के द्वार के दोनों सिंगाड़/स्तम्भ चार चार वर्टिकल स्तम्भों के मेल

से निर्मित हुए हैं। दो उप स्तम्भ गढ़वाल की तिबारियों के स्तम्भ जैसे हैं याने आधार पर उल्टा कमल दल फिर ड्यूल व फिर सीधा खिलता कमल फूल व फिर स्तम्भ का बढ़ते जाना व शीर्ष से पहले उल्टा कमल फूल , ड्यूल व फिर से सुल्टा कमल फूल है। दूसरे अन्य स्तम्भों में प्राकृतिक ( सर्पीकार लता , पर्ण ) कला , अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है याने अन्य दो सिंगाड़ों में वानस्पतिक नक्कासी हुयी है।

तल मंजिल में मुख्य द्वार /खोली का मुरिन्ड चौखट नुमा है व ऊपर काष्ठ प्रतीकात्मक या काल्पनिक प्रकार का अलंकरण के चिन्ह साफ़ साफ़ दृष्टिगोचर होते हैं। सम्भवतया ये मानवीय आकृतियां नजर हटाने या शगुन संबंधी आकृतियां रही होंगी।

२- तल्ला इडा के सिपाई नेगियों के क्वाठा के मुख्य द्वार के बाह्य मेहराब में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी - बाह्य मेहराब खोली के आंतरिक मुरिन्ड के बाहर व ऊपर है। मेहराब तिपत्ति नुमा है व भर की पट्टिका में दोनों किनारों में चक्राकार , बहुदलीय पुष्प जैसा सूरजमुखी का केन्दीय भाग होता है जैसे हैं। मेहराब के बाहरी ओर बेल बूटों की सुंदर नक्कासी हुयी हैं। कलाकारों ने कमाल दिखाया है ।

३- तल्ला इडा के सिपाई नेगियों के क्वाठा के मुख्य द्वार के तल मंजिल में मुख्य द्वार के दोनों ओर चोबदारों (सुरक्षा कर्मी ) के बैठने या खड़े रहने के बुर्जनुमा काष्ठ संरचना में कला -अलंकरण या नक्कासी - तल मंजिल में मुख्य द्वार के अगल बगल में बुर्ज नुमा संरचना बनी है जो जरूरी ही चोबदारो / सुरक्षा कर्मी के कड़े या बैठने का स्थान रहा होगा, तल मंजिल के बुर्ज में दोनो ओर दो दो स्तम्भ तह व दो दो मेहराब हैं जो संरचना व , कला, अलंकरण , नक्कासी इस दृष्टि से मुख्य स्तम्भों व मुख्य मेहराब की बिलकुल नकल है. याने तोरण , कमल दल , ड्यूल, चक्राकार पुष्प आदि हैं , तल मंजिल के बुर्ज के मुरिन्ड में प्रतीकात्मक आकृति के चिन्ह देखे जा सकते हैं

४- तल्ला इडा के सिपाई नेगियों के क्वाठा के पहली मंजिल में चोबदार कोष्टक के ठीक ऊपर बुर्ज में काष्ठ कला :- तल्ला इडा के सिपाई नेगियों के क्वाठा के पहली मंजिल में चोबदार कोष्टक के ठीक ऊपर बुर्ज में काष्ठ कला -अलंकरण या नक्कासी व ऊपर छज्जा आधार पट्टिका से आते दिवालगीरों व अन्य स्थलों में काष्ठ कला -अलंकरण अंकन या नक्कासी- मुख्य द्वार के पहली मंजिल में दोनों ओर बुर्ज या बालकोनी हैं जो लाल किले आदि की याद दिला देते हैं। पहली मंजिल के बुर्ज तल मंजिल के चोबदार बै ठवाक के ठीक ऊपर हैं व तल मंजिल में सुरक्षा कर्मी के खड़े होने वाली संरचना की बिलकुल नकल है। दोनों संरचनाओं में व उनकी कलाओं व अलंकरण अंकन याने नक्कासी में रत्ती भर का भी अंतर नहीं है। पहली मंजिल के बुर्ज व तल मंजिल के बुर्ज मध्य एक चौखट नुमा या चौखट , डोला नुमा आकृति है जिसमे ज्यामितीय कला अंकित हुयी है।

दूसरी मंजिल के छज्जे के काष्ठ आधार पट्टिका से दीवालगीर लटके से दीखते हैं व इन दीवाल गीरों में हस्ती या पशु व कुछ मानव आकृति अंकित दिखती हैं , प्रत्येक बुर्ज में ऊपर चौखट में मानवीय अलंकरण अंकन (मानव व पशु ) हुआ है।

५ - तल्ला इडा के सिपाई नेगियों के क्वाठा के मुख्य द्वार दूसरे मंजिल में तिबारी नुमा काष्ठ संरचना में कला -अलंकरण अंकन या नक्कासी - सिपाई नेगियों के क्वाठा भितर के दूसरी मंजिल (तिपुर ) में तिबारी नुमा संरचना है जिसमे ६ स्तम्भ है व पांच ख्वाळ हैं तिबारी की संरचना - स्तम्भ , मेहराब , मेहराब के ऊपर मुरिन्ड व तिबारी का कला पक्ष पौड़ी गढ़वाल की आम तिबारियों के समान ही है रत्ती भर का भी अंतर् नहीं याने स्तम्भ में उलटे -सुल्टे कमल फूल , ड्यूल व घुंडी आदि व मुरिन्ड में मेहराब व मेहराब के त्रिभुज में प्राकृतिक कला अलंकरण व ऊपर कड़ी में साधा कला।

तल्ला इडा के सिपाई नेगियों के क्वाठा भितर में कला पक्ष के सभी अंगों का ध्यान रखा गया है यथा - दृश्यात्मक संगठन नियम , समरूपता व समरसता ; एकरसता तोडू प्रबंध , अनुपूचारिक व औपचारिक संतुलन , अनुपातिक संरचनाएं , गतिशीलता , गति से रंगत उतपति , आकार , आकर में डिजायन का ध्यान कलाकारों ने पूरा रखा है। यह तय है कि तल्ला इडा के सिपाई नेगियों के क्वाठा भितर निर्माण शिल्पकारों को प्रशिक्षण पारिवारिक गुरुकुल पद्धति से ही मिली होगी। व वे हर कोण से कला पक्ष व तकनीक पक्ष में सफल हुए हैं।

निष्कर्ष है कि तल्ला इडा के सिपाई नेगियों के क्वाठा भितर संरचना , इंजीनियरिंग व कला पक्ष दृष्टि से उच्चतर स्तर का है। शिल्पकारों की प्रशंसा आवश्यक है।

अभी तक उमेश असवाल से इस क्वाठा के निर्माण काल व शिल्पकारों के गाँव आदि की सूचना न मिल सकी है. शिल्पकारों के बारे में सूचना व निर्माण काल से अनुमान लगाना सरल होगा कि पौड़ी गढ़वाल में तिबारी कला का क्षेत्र तर विकास (Evolution) कैसे हुआ व शिल्पकारों का दुसरे दूरस्त क्षेत्रों में किस तरह आना जाना हुआ व यह भी पता चल सकेगा कि ये शिल्पकार दूसरे क्षेत्र में भी बसे थे की नहीं व क्या बसाहत ट का कोई पैटर्न था कि नहीं।

सूचना व फोटो आभार : उमेश असवाल , एकेश्वर

संदर्भ - मनोज इष्टवाल , उत्तराखंड में भवन निर्माण में तिबारी ,बाखली वास्तु कला (हिमालयन डिस्कवर ) , मार्च 2020

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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