उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -21

उत्तराखंड परिपेक्ष में राजमा /लुब्या इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में दालों /दलहन का इतिहास -भाग 10

उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --21

उत्तराखंड परिपेक्ष में राजमा /लुब्या इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में दालों /दलहन का इतिहास -भाग 10

उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --21

आलेख : भीष्म कुकरेती

Botanical Name: Phaseolus vulgaries

Common Name- Kidney beans /beans

बीन्स या राजमा या लुब्या /छीमी 150 देशों में उगाया जाता है जाता है ।

मध्य व लैटिन अमेरिका में लुब्या /राजमा या बीन्स का इतिहास 11, 000 पुराना है।

पेरू व मैक्सिको में किडनी बीन्स का कृषि इतिहास 7000 साल पुराना है।

पुरानी दुनिया को किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या कोलम्बस अमेरिका की खोज के बाद ही पता चला।

स्पेनी घुमन्तु अन्वेषक किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या को पन्द्रहवीं सदी में स्पेन लाये।

स्पेनी व पुर्तगाली व्यापारियों अफ्रिका व एसिया वासियों को किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या का ज्ञान कराया।

इसका अर्थ हुआ कि भारत में वास्को दा गामा के भारत आगमन (1498 AD एवं 1502 ) के बाद ही भारत में किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या का प्रवेश हुआ होगा।

सबसे पहले किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या का प्रवेश दक्षिण भारत में हुआ।

प्राचीन काल ही नही आज भी नये बीज को अनुकूलन में समय लगता है। अत किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या को भारत में कृषि लायक होने में समय अवश्य लगा होगा।

धीरे धीरे यह पता लगा कि हिमालयी पहाड़ियाँ किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या खेती के अनुकूल हैं।

इन तथ्यों से पता चलता है कि उत्तराखंड में सत्तरहवीं सदी से पहले किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या नही आया होगा और फिर धीरे धीरेकिडनी बीन्स /राजमा /लुब्या खेती ने पग पसारे होंगे। इसका सीधा अर्थ थ हुआ कि अठारवीं सदी से ही किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या खेती ने उत्तराखंड में प्रमुखता पाई होगी।

कुछ क्षेत्रीय अपवाद छोड़कर स्वतन्त्रता से पहले किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या गढ़वाल -कुमाऊं में प्रथम श्रेणी की दाल नही मानी गयी। यद्यपि किडनी बीन्स /राजमा /लुब्या का बहुपयोग अवश्य होता था जैसे दाल , भरी रोटियाँ या स्वाळ बनाना , बुखण प्रयोग आदि।

स्वतन्त्रता से पहले शादियों में या तो उड़द की दाल बनती थी या साबुत तोर की दाल बनती थी।

Copyright @ Bhishma Kukreti 25/9/2013