गौं गौं की लोककला

पुजालटी (जौनपुर , टिहरी ) में राम लाल गौड़ की भव्य तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : अतुल देवरानी , ज्याठा गांव

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 153

ज्याठा गाँव (पैनों .पौड़ी गढ़वाल ) में स्व . विश्वम्बर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' की भव्य व विशेष तिबारी व निमदारी में काष्ठ कला , अलंकरण , लकड़ी नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - 153

( लेख अन्य परुष में है अतः श्री , श्रीमान , जी शब्द प्रयोग नहीं हुए है व लेख कला व अलंकरण पर केंद्रित है न कि भवन शैली पर )

संकलन - भीष्म कुकरेती -

एक लोक कथ्य अनुसार पैनों पट्टी में ज्याठ गांव के देवरानी परिवार डाडामंडी के निकट डुंड्यख गांव से स्थानन्तरित हुए थे। ज्याठा गांव में स्व विश्वम्बर दत्त देवरानी शस्त्री प्रसिद्ध विद्वान व कर्मकांडी पंडित हुए थे जो हिन्दू धर्म प्रचार वास्ते विदेशों की यात्रा पर भी गए थे। स्व विश्वंबर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' महामना मदन मोहन मालवीय के सहयोगी भी रहे हैं।

स्व विश्वंबर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' ने एक भव्य व विशेष तिबारी निर्मित की थी , तिबारी संभवत: 1930 -40 इ के लगभग निर्मित हुयी होगी। ज्याठा गांव में स्व विश्वंबर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' की तिबारी कई मामले में विशेष है। दक्षिण गढ़वाल में अधिकतर तिबारी पहली मंजिल पर स्थापितहुई हैं किन्तु ज्याठा गाँव (पैनों , रिखणी खाल ब्लॉक , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व विश्वंबर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' के ढैपुर , दुखंड /तिभित्या मकान में तिबारी तल मंजिल में स्थापित है व पहली मंजिल में जंगला स्थापित है(निमदारी ) . कला व रचना / बनावट की दृष्टि से ज्याठा गाँव ( (पैनों , रिखणी खाल ब्लॉक , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व विश्वंबर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' के मकान की तिबारी व निमदारी भव्य है , विशेष है व आज भी उत्तराधिकारियों ने उचित देखभाल कर तिबारी -निमदारी को युवा ही रखा हुआ है।

ज्याठा गाँव ( (पैनों , रिखणी खाल ब्लॉक , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व विश्वंबर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' के मकान में काष्ठ कला विवेचना हेतु - तल मंजिल में तिबारी , तिबारी के आस पास ; तल मंजिल में खोली (प्रवेशद्वार ) व पहली मंजिल में निमदारी (जंगल ) का अध्ययन आवश्यक है।

ज्याठा गाँव ( (पैनों पट्टी , रिखणी खाल ब्लॉक , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व विश्वंबर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' के मकान के तल मंजिल में स्थापित तिबारी में भव्य नक्कासी दार चार स्तम्भ /सिंगाड़ स्थापित हैं जो तीन ख्वाळ/खोली /द्वार बनाते हैं। स्तम्भ सिंगाड़ दीवार से तीन कड़ियों के माध्यम से जुड़े हैं। तीनों कड़ियों में पत्तियों , सर्पिल लता आकार , व बीच की कड़ी में काल्पनिक आकृतियां अंकित हुयी है। नक्कासी की प्रशंसा करनी ही होगी। स्तम्भ भूतल के ऊपर पाषाण देळी /देहरी पर स्थापित हैं। स्तम्भ का आधार चौकोर डौळ है व उसके ऊपर कुम्भी नुमा /दबल /पथ्वड़ नुमा आकर है जो उल्टे कमल दल से बना है , उल्टे कमल दल की पंखुड़ियों में काल्पनिक छवि की नक्कासी हुयी है जो दर्शनीय है और चित्र में आँखों का ध्यान बरबस इधर चला ही जाता है। अधोगामी पद्म पुष्प के ऊपर ड्यूल (Ring type Wooden Plate ) है। ड्यूल के ऊपर बड़ी बड़ी पंखुड़ियों वाला कमल खिले पुष्प की आकृति अंकित हाइवा उसके बाद तम्भ की मोटाई कम होती जाती है। इस कम मोटाई वाली कड़ी में भी रेखायुक्त नकासी हुयी है। जहां स्तम्भ //सिंगाड़ की सबसे कम मोटाई है वहां उल्टा कमल फूल है व उसके ऊपर ड्यूल अंकित है व उसके ऊपर सीधा कमल दल है। कमल दल के ऊपरी हिस्से में स्तम्भ अर्ध गोलाई लिए कोई फूल की शक्ल अख्तियार करता है जिसके ऊपर प्राकृतिक अलंकरण हुआ है। इस पुष्प आकृति के ऊपर स्तम्भ थांत ( Bat Blade type ) की शक्ल अख्तियार करते हुए ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष abacus से मिल। स्तम्भ में जहां से थांत आकृति शुरू होती है वहीं से मेहराब की चाप भी शुरू होती है। मेहराब की चाप तिपत्ति (trefoil ) नुमा है व मेहराब के बाहर त्रिभुजों के किनारे पर दोनो ओर बहुदलीय पुष्प आकृति है याने प्यूरी तिबारी में मेहराब के बाहर त्रिभुजों में 6 बहुदलीय फूल खुदे हैं। इन त्रिभुजों में प्रकृति बेल बूटे की नक्कासी हुयी है। प्रत्येक मेहराब के ऊपर केंद्र में एक एक प्रतीक आकर स्थापित है। (संभवतया नजर न लगने हेतु या शगुन हेतु स्थापित है।

स्तम्भ के प्रत्येक थांत के ऊपर एक एक दीवालगीर (bracket ) हैं जो पुष्प कली की आकृति का आभास देते हैं (आभासी अलंकार ) . ये दीवालगीर ऊपर मुरिन्ड से मिल जाते हैं। मुरिन्ड की कड़ियों में बहुत ही आकर्षक लता , पत्ती व ज्यामितीय कला अलकंरण उत्कीर्ण हुआ है मुरिन्ड की कड़ियों में बहुत ही आकर्षक लता , पत्ती व ज्यामितीय कला उत्कीर्ण हुयी है। मुरिन्ड की आखरी कड़ी जो छज्जे के आधार से मिलते है उससे शंकु नुमा आकृतियां लटकती प्रतीत होती है।

तिबारी की एक अन्य विशेष्ता है कि मुरिन्ड।/शीर्ष /abacus के बगल में एक एक काष्ठ हाथी (कुल दो हाथी ( उत्कीर्ण हुआ है जो मजबूती ,बल व स्थिरता का प्रतीक है।

ज्याठा गाँव ( (पैनों पट्टी , रिखणी खाल ब्लॉक , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व विश्वंबर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' के मकान के पहली मंजिल में निमदारी या जंगल स्थापित है। जंगल भी रौनकदार है। ज्याठा गाँव ( (पैनों पट्टी , रिखणी खाल ब्लॉक , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व विश्वंबर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' के मकान के पहली मंजिल की निमदारी में कुल 14 युग्म स्तम्भ (जोड़ी से एक आकृति बनना ) है व किनारे पर ज्यामितीय कुशलता की आकृतियां है। युग्म स्तम्भ ढाई फ़ीट ऊंचाई तक मोठे हैं व ऊपर कम मोटाई के हैं। इसी ऊंचाई से लकड़ी की रेलिंग भी लगी हैं। निमदारी के स्तम्भ व आधार व शीर्ष कड़ी ज्यामितीय अलंकरण का उम्दा उदाहरण पेश करते हैं।

इस मकान की खोली /प्रवेश द्वार की कोई उचित चित्र न मिलनेके कारण खोली की काष्ठ कला का विवरण बाकी है।

निष्कर्ष निकलना सरल है कि ज्याठा गाँव ( (पैनों पट्टी , रिखणी खाल ब्लॉक , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व विश्वंबर दत्त देवरानी 'शास्त्री ' के मकान की तिबारी व निमदारी में काष्ठ कला उच्च तम स्तर की है.

सूचना व फोटो आभार : अतुल देवरानी , ज्याठा गांव

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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