© नरेश उनियाल,

ग्राम -जल्ठा, (डबरालस्यूं ), पौड़ी गढ़वाल,उत्तराखंड !!

सादर नमस्कार प्रिय मित्रों..🌹🌺🙏

एक लघुकथा प्रस्तुत कर रहा हूँ | आपका ध्यान चाहूंगा 🙏🌺🙏

"लघुकथा"

"कुप्रथा: कल, आज और कल"

आज महेश का 12th का रिजल्ट आया था.. फर्स्ट क्लास फर्स्ट पास हुआ था वह..

घर में बधाई देने वालों का ताँता लग गया | नातेदार, रिश्तेदार, पड़ोसी एवं प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक

मीडिया...सभी बधाई दे रहे थे | माता-पिता की खुशियों का ठिकाना न था |

एक समाचार चैनल के एंकर ने पूछा.. "क्या बनने /करने का इरादा है महेश अब?? "


महेश बोलता, इससे पहले ही पिता बोल पड़े, " अजी बनना क्या.. इसे डॉक्टर, इंजीनियर, IAS, IES और IPS ऑफिसर थोड़े न बनाना है..

इसे तो हम राजनीति में ले जायेंगे, नेता बनाएंगे... ऑफिसर बनकर जितना जिंदगीभर कमायेगा, उतना यहाँ एक साल में पार लगा लेगा |"

महेश के पिता जानते थे.. कि नेता बनकर देश को चूना लगाने की कुप्रथा कल थी, आज है और निश्चित रूप से कल भी रहेगी |