गौं गौं की लोककला

मंगोली (उखीमठ ) में आशाराम नौटियाल की खोली में काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : प्रसिद्ध रंगकर्मी डा. राकेश भट्ट

Copyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 199

मंगोली (उखीमठ ) में आशाराम नौटियाल की खोली में काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , छाज कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन , लकड़ी नक्कासी - 199

संकलन - भीष्म कुकरेती

एक बार प्रसिद्ध विद्वान डा डी आर. पुरोहित ने रुद्रप्रयाग में प्रचलित कहावत का उद्धरण दिया था ' उठायीं बीबी अर भ्यूंतळ कूड़ इकजनी हूंदन ' . याने कि रुद्रप्रयाग में केवल उबर वाले मकान व बिन खोली के मकानों की सामजिक स्तर पर कोई कीमत नहीं है मंदाकनी घाटी में। यह मेरे अब तक के सर्वेक्षण से भी पता चलता है कि चमोली, रुद्रप्रयाग व कुमाऊं में कलायुक्त खोली बगैर कूड़ नहीं सोचा जा सकता है। पौड़ी गढ़वाल में ब्रिटिश काल के अंत या 1900 के लगभग बड़े छज्जों व बाहर से सीढ़ियों का रिवाज बढ़ा तो कलायुक्त खोलियों का रिवाज काम होता गया।

आज प्रस्तुत के रुद्रप्रयाग के उखीमठ क्षेत्र में मंगोली गाँव में आशाराम नौटियाल के मकान की खोली में काष्ठ कला विवेचना। कला दरसिहति से मंगोली (उखीमठ ) में आशाराम नौटियाल की खोली उच्च दर्जे की खोली में अपना स्थान बनाने के सक्षम है।

जैसे कि पश्चमी देहरादून उत्तरकाशी , उत्तरी गढ़वाल व कुमाऊं में खोली निर्माण शैली का प्रचलन है वैसे ही मंगोली के आशाराम नौटियाल के भवन की खोली में दोनों ओर के सिंगाड़ (स्तम्भ) बहु उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हुए हैं। मंगोली में आशाराम नौटियाल के भवन की खोली का प्रत्येक सिंगाड़ (स्तम्भ ) आठ उप स्तम्भों के युग्म (जोड़ ) से निर्मित हुआ है जो इस बात का द्योत्तक है कि काष्ठ कलाकार व नौटियाल परिवार बारीक नक्काशी में विश्वास करते थे। आठों उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड की कड़ियाँ बन जाते हैं या मुरिन्ड के स्तर बन जाते हैं । बाहर के उप स्तम्भों को छोड़ बाकी स्तम्भों में लता -पर्ण (creepers and leaves ) का महीन अंकन हुआ है और महीन अंकन की प्रशंसा बोल मुंह में आ ही जाते हैं। बाहर के उप स्तम्भों के आधार पर उल्टा कमल अंकित है फिर ड्यूल है उसके बाद सुल्टा कमल दल है व फिर स्तम्भ में धार -गड्ढे आकर अंकन है व स्तम्भ ऊपर की ओर बढ़ जाते हैं ऊपर उल्टा कमल है फिर स्यूल अंकन है फिर सीधा उर्घ्वगामी कमल फूल अंकन है व फिर स्तम्भ सीधे हो ऊपर मुरिन्ड की बाह्य कड़ी बन जाते है। यहां से स्तम्भों में वानस्पतिक व प्रतीकात्मक (काल्पनिक ) मिश्रित अंकन हुआ है जो मुरिन्ड की कड़ी में भी दृष्टिगोचर होता है।

मुरिन्ड केंद्र में चतुर्भुज, जनेऊधारी गणेश (देव प्रतीक ) की मूर्ति अंकित है जो लंगोट में है व पालथी मारे बैठे हैं .

मुरिन्ड के ऊपर छप्परिका आधार है व वहां तीन विशेष सूरज मुखी जैसे बड़े बड़े फूल अंकन हुआ है।

मुरिन्ड के अगल बगल दोनों ओर दो दो दीवालगीर (bracket ) हैं। दोनों ब्रैकेट एक दुसरे की पूरी नकल है। दीवालगीर सबसे नीचे तोता अंकित है व दोनों तोतों के मध्य नीचे पहले अष्ट दलीय पुश अंकन है तो ऊपर मध्य में सूरजमुखी का फूल की नक्काशी हुयी है। तोते के सर के ऊपर सीधा कमल फूल व उसके ऊपर उलटा कमल दल है व तीन आधार पट्टिका हैं व सबसे ऊपर की पट्टिका में दंत युक्त हाथी अंकित हुए हैं।

निष्कर्ष निकलता है कि मंगोली (उखीमठ ) में आशाराम नौटियाल की भव्य खोली में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय तीनों प्रकार के अलंकरण अंकित हुए है व अंकन महीन है व अंकन में बहुत ध्यान दिया गया है। कलाकारों की प्रशंसा वश्य्क है किन्तु अफ़सोस इस अभिलेखीकरण सूचनाओं में में कलाकारों के बारे में सूचना नहीं मिल रही हैं

सूचना व फोटो आभार : प्रसिद्ध रंगकर्मी डा. राकेश भट्ट

* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी . मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020