म्यारा डांडा-कांठा की कविता
नूतन ‘तनु’ पंत
नूतन ‘तनु’ पंत
म्यारा गौं मां जब मनखी छाई
म्यारा गौं मां जब मनखी छाई
सुबेर उठिक लगदी छै छ्वीं
तेरी मी मां, मेरी त्वै मां.
गौं का गौं व्हैन खाली
मी ई सौंचणू रौ ब्याई
घास पाता को डांडा जांदा छाई
थड्या-चौफड़ा ख्यलदा छाई
खैरि खुद लगांदा छाई
म्यारा गौं मां जब मनखी छाई…
मयाई मुखड़ी, रगर्यांदी आंखि छाई
झुरदी जिकुड़ी, बडुई लगदी सांखी छाई
रोंदा बाआ बुथ्यांदा दाना छाई
म्यारा गौं मां जब मनखी छाई…
घसेरि गीत गांदी छाई
बैख ठुमका लगांदा छाई
द्यूर बौजिक मजाक छाई
द्यूरणि का नाक लगदी घचाक छाई
म्यारा गौं मां जब मनखी छाई…
इग्वास बग्वाअ आंदि छाई
छिल्लों का मुट्ठों का भैला खिलेंदा छाई
स्वावा चूड़ा पकदा छाई
म्यारा गौं मां जब मनखी छाई…