" क्या बुन्न तब "
" क्या बुन्न तब "
मेरी समझ मा एक बात नि आणि कि कोरोना बीमारी उत्तराखण्ड मा जतना जादा फैलणि उतना ही जादा सोसियल साइट अर अखबारों मा बनि बनिक नेताओंक क्यालक फोलि अर मास्क बाटंत फोटोंक भरमार ह्वै ग्याइ।
ठीक च आप एक म्वालु पैंराणा छवा अर बीस लोग दगड़म फोटो खिंचाणा छन।
क्या जरुरत। चुपचाप सरकारी तंत्र या पंचायत क द्वारा फल, मास्क, राशन जू कुछ भी च बंटवै द्यावायद।
जादा भीड़ कैरिक क्या फायदा। अधिकतर त बगैर म्वालु पैंरा ही फोटो खिचाणा छन भीड़ मा।
क्या यू संक्रमण फैलाणक कारण नि? क्या यू सोसियल डिसटेंसिंग नियम क उल्लंघन नी च।
बीमारी तैं भी आपरु प्रचार प्रसार क माध्यम बणै याल।
अरे दान पुण्य त गुप्त ही फल दायक हुंद।
बच्यां रैल त जब चुनाव आॅल तब कैरि लेन प्रचार।
अभि त चुप सोसियल डिसटेंसिंग पालन कारा अर कराव।
वै मा ही सब्यूंक भले च।