सम्मान
आभास
ढलती उम्र
कुछ शब्द याद रखेंगे मुझे
तेरे बारे में
कौन
शायद जीवन यही है
मुझे पराया ना समझो
उस सांझ को
गाँव की ओर चल पड़ता है
वो अब भी क्यों मुझे बुलाता रहा
जब पहाड़ रोता है
अपने से ही
मेरी कविताओं
वो ही हिस्सा मेरा
बस महसूस हुआ
हम खो गए है
निश्चित ही
तेरी मेरी बात हुई है
कभी लगता है ऐसे
मेरे गाँव में बर्फ गिरी है
वो पेड़
बातें की थी
बात बताऊं क्या तुम्हे
मंजिलों की तलाश में
ना किसी को तू आवाज दे
रात भर
हजारों कहानियां
बाँध लो इतना
तुम्हारे साथ
तुम्ही से प्यार है
किसने हमे याद किया
हम तुम से मिले
मेरे बगल में
अपने गाँव की ओर
बस यादें दे गई जिंदगी
क्या बोलते हैं
तू पुकारेगा जरूर
किसी ने तुम्हे कह दिया
वो ख़ुशी
अपने से
तेरी एक मुस्कान ही
भिगो देती हैं .......