गढ़वाली में संख्यावाची शब्द
अधैळ- (आधा भाग)
त्याढ़- (एक तिहाई)
पैल्वाण/पैलपैण- (पहली बार बच्चा देने वाला पशु)
यकानि- (एक आने का सिक्का)
यकहड़्या- (तवे में एक ही ओर पकाई गई रोटी)
इकसौंडाळ- (एक समान)
इखारो- (इकहरा)
एकमुखी- (एक मुख वाला)
यकहत्या- (एक ऐसी चीज जो एक ही व्यक्ति से संचालित हो)
यखुट्या- (एक पांव वाला)
इखरौंण- (ओखल में धान एक बार कूटना)
दुरौंण- (ओखल में धान दूसरी बार कूटना)
यकुळा- (दिन में एक बार, आधा दिन)
दुकुळा- (दोनों समय)
दुखंडो- (दो खण्ड वाला मकान)
दुघर्या- (पूर्व पति का घर छोड़कर दूसरे पति के घर रहने वाली स्त्री)
दुफंग्याळो/दुफांग्या- (दो शाखाओं वाला)
दुगड्डा- (दो गाडों के मिलने वाला स्थान)
दुणगोड- (दूसरी बार की गुड़ाई)
दुण्यौंण- (अनाज बोने से पहले दूसरी बार खेत जोतना)
दुतरफु- (दोनों तरफ)
दुधड़ो- (दो भागों में बंटा हुआ)
दुनाळ्या- (दो नाल वाली)
दुबाटो- (दोराहा)
दुपाया- (दो पैरों वाला)
दुपाळ्या- (दो तरफ वाला)
दुफाड़- (दो टुकडों में बंटा)
दुबाळो- (नदी का वह स्थान जहां पर धारा दो भागों में बंट जाए और बीच में छोटा-सा टापू बन जाए)
दुमाग- (दो मार्ग)
दुरंगि- (दो रंग की)
दुलय्या- (एक बार काटने के बाद दुबारा बढ़ी हुई घास)
दुसांद- (सरहद, दो गांवों की सीमा का मिलन स्थान)
दुहत्या- (दोनो हाथों से)
दुसारण/द्वी पैणा- (दूसरी बार बच्चा देने वाला पशु)
दोण- (दो 'डलोणे' का एक मात्रक, द्रोण)
द्वग्गा- (दो एक साथ जुड़े हुए)
द्वारो- (दुहरा)
तिकोण्या- (तीन कोने वाला)
तिपुरो- (तीन मंजिला मकान)
तिमाण्याँ- (सोने के तीन मनकों वाला गले का आभूषण)
तिमुंड्या- (तीन सिर वाला)
तिरपुंड- (तीन आड़ी रेखाओं का तिलक)
तिरसूळ- (त्रिशूल)
तिलड़्या- (तीन लड़ियों वाला)
तिसराण/तिपैंणा- (तीसरी बार बच्चा देने वाला पशु)
त्याऽरु- (तिहरा)
चौदिसि- (चार दिशाएँ)
चौखंबा- (चार शिखरों वाला पर्वत)
चौखुंट- (चारों किनारे)
चौखुंटू- (चौकोर जिसके चारों किनारे बराबर हों)
चौथ- (चतुर्थी तिथि)
चौथो- (हर चौथे दिन आने वाला बुखार)
चौपल- (जिसके चारों फलक ठीक आयताकार या वर्गाकार हों)
चौपायो- (चार पैरों वाला)
चौपुर्तु- (चार तह वाला, चौहरा)
चौबाट्टा- (चौराहा)
चौमास- (वर्षा ऋतु के चार माह)
चौमुख्या- (चार मुख वाला)
चौसिंग्या- (चार सींगों वाला)
चौसेरो- (चार सेर का पात्र, पाथो)
चौहड़्या- (चारों ओर से)
पंच- (पंचायत के पांच सदस्य)
पंचगब- (पंचगव्य, दूध, दही, घी, गौमूत्र एवं शहद का अभिमंत्रित मिश्रण)
पंचदेव- (पांच देव, शिव, गणेश, विष्णु, सूर्य, दुर्गा)
पंचप्रयाग- (पांच प्रयाग- विष्णु प्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग)
पंचकेदार- (पांच केदार, केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, कल्पनाथ, मद्महेश्वर)
पंचबदरी- पांच बदरी, बदरीनाथ, आदिबदरी,
योगध्यान बदरी, भविष्यबदरी, वृद्धबदरी)
पंचपथरी- (पांच पत्थरों का एक खेल)
पंचपात्र- (पांच पात्र)
पंचमि- (पंचमी तिथि)
पंचकुंड- (पांच कुंड)
पंचगै- (पांच गांवों का समूह)
पंचाळु/पंचौळो- (प्रसूता स्त्री का प्रसव के बाद पांचवा दिन)
पंचैत- (पंचायत)
छट- (बच्चे के जन्म का छठे दिन का पूजन)
सतनाजो- (सात अनाजों का मिश्रण)
सत्वांसो- (वह बच्चा जो सातवें महीने में ही पैदा हो जाए)
सप्ताह- (सात दिन तक चलने वाली भागवत की कथा)
सत्वाळा- (प्रसूता का सातवां दिन)
अठ्वाड़- (चैत्र मास की आठवीं तिथि, आठ दिनों का अनुष्ठान जिसके अंत में आठ बलियाँ दी जाती हैं)
अठ्वांसो- (समय से पूर्व आठवें मास में उत्पन्न होने वाला बच्चा)
नवग्रह- (नौ ग्रह, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु)
नवरातरा- (नवरात्र)
नौछमी- (नौ लीलाओं वाला)
नौमी- (नवमी, नवमी तिथि)
नौलड़़्या- (नौ लड़ियों वाला हार)
नौसेरु- (नौ शिराओं वाला)
नौलो- (नवें दिन की जाने वाली पूजा)
नौसुर्या- (नौ सुरों वाला)
इकास/यगास- (एकादशी तिथि)
यकासु- (ग्यारहवीं, मृतक की ग्यारहवें दिन की जाने वाली क्रिया)
बारमस्या- (बारह महीनों लगने वाले फल)
बारामासा- (बारह महीनों)
तिरिसु- (मृतक का तीसवें दिन किया जाने वाला श्राद्ध)
बावनी- (संवत 1852 का दुर्भिक्ष)
चौरासि- (चारों ओर विपत्ति आना, चौरासी योनियों के दुख एक साथ आना)
(साभार- हिंदी गढ़वाली अंग्रेज़ी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल, संरक्षण आधार- अरविंद पुरोहित)