आलेख :विवेकानंद जखमोला शैलेश

गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

सूचना सहयोग एवं छायाचित्र साभार:-श्री विजेन्द्र मानेशा जी की फेसबुक वाल से ।

हंसकोटी नारायण बगड़ (चमोली गढ़वाल) में स्थित जल #स्रोत (धारे , मंगारे , नौले ) की पाषाण शैली व कला

उत्तराखंड के स्रोत धारे,पंदेरे, मंगारे और नौलौं की निर्माण शैली विवेचना की इस श्रृंखला के अंतर्गत आज प्रस्तुत है ग्राम हंसकोटी,पट्टी विकास खंड नारायण बगड़,जनपद चमोली गढ़वाल में निर्मित आदि शंकराचार्य कालीन नौलों की निर्माण शैली व पाषाण कला के बारे में।

पूर्वजों द्वारा संजोई गई हमारी अनमोल धरोहरों की दृष्टि से देवताओं की धरती उत्तराखण्ड देवभूमि प्राचीन काल से ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध रही हैं। पाषाण एवं निर्माण कला के लिए प्रसिद्ध चमोली जनपद के नारायणबगड़ ब्लॉक में स्थित हँसकोटी गांव में निर्मित हजारों साल पुराने कुंडों की श्रृंखला इसका एक प्रत्यक्ष प्रमाण है । श्री बिजेंद्र मानेशा जी के एक महत्वपूर्ण आलेख के अनुसार इन कुंडों की बनावट एवं बसावट के आधार पर कहा जाता है कि ये आदि गुरु शंकराचार्य के काल मे निर्मित हुए हैं। क्योंकि यहां पर जिन पत्थरों का प्रयोग कुंए के निर्माण में किया गया है वो पांडुकेश्वर एवं बद्रीनाथ से मिलते-जुलते हैं। इनमें से एक कुएं का निर्माण बेहद बारीकी से किया गया है। जिसमे नीचे से भी एक बड़ा पत्थर बिछाया गया है। इसके चारों और गोलाई में नीचे से ऊपर एक बड़ा गुम्बद बनाया गया है। कुंए के अंदर ही सामने वाली दीवार पर भगवान विष्णु जी की मूर्ति बनाई गई है। जिसमें भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषशायी मुद्रा में लेटे हुए हैं और माता महालक्ष्मी उनके चरणों मे बैठी हुई हैं ।कुंए के बाहरी मुख्य द्वार पर चार स्तम्भों का आधार बनाकर अंदर से दो छोटे-छोटे कमरों का निर्माण किया गया है। जिनमें गौरी सुत गणेशजी सहित कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं। बाहरी द्वार के मुख्य स्तभों पर दो द्वारपालों की मूर्तियां भी उत्कीर्ण की गई हैं। इस स्थान पर नीचे गहराई में कुएं का निर्माण किया गया है। जिसके आधार से पत्थर शिलाओं के बीच से बारहों महीनों में ठंडा, मीठा, स्वच्छ एवं निर्मल जल स्रोत प्रस्फुटित होता है जिससे ग्रामीण अपनी जल तृष्णा को शांत कर अमरत्व का अहसास करते हैं।

#सांस्कृतिक #दृष्टि #से #कुएं #का #महत्व.....

इस कुएं का महात्म्य यह है कि जब कोई भी शादीशुदा नवदम्पति प्रथम बार गांव आते हैं तो विष्णु पूजा परंपरा का निर्वाह करते हुए यहां आकर पूजा अर्चना कर सुखी वैवाहिक दाम्पत्य जीवन की कामना करते हैं। नई नवेली दुल्हन जब पहली बार इस कुएं पर आती है तो यहां का पवित्र जल भरकर घर में लाती है। जिसे यहाँ शुभता एवं पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

कुंए का ऐतिहासिक महत्व ....

इस कुएं के बारे में प्रचलित किंवदंतियाँ के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व जब आदि शंकराचार्य जी चमोली जनपद के इस पावन श्रीक्षेत्र में आये थे और जब उन्होंने यहां पर श्री बद्रीनाथ धाम की स्थापना की थी तो उन्होंने यहां जगह-जगह भ्रमण किया था, तब जहां-जहां भी वे गए तो उन सभी जगहों पर ऐसे ही पवित्र जलतीर्थों की स्थापना भी की गई थी। ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि इनकी निर्माण शैली भी लगभग बद्रीनाथ मंदिर की निर्माण शैली जैसी ही है। इस कुएं के निर्माण में भी ऐसे ही पत्थरों का उपयोग किया गया है जैसे कि श्री बद्री क्षेत्र में किया गया है। पत्थरों की तराशी एवं निर्माण शैली भी उसी प्रकार की ही है। गांव के दोनों तरफ दाएं एवं बाएं भाग में ऐसे ही दो कुएं हैं। इसके अतिरिक्त एक और बहुत छोटा कुआँ भी है, जिसे हीत की नौली नाम से जाना जाता है। हंसकोटी गांव सांस्कृतिक रुप से भी समृद्ध है और गांव में जब भी पांडव लीला का आयोजन किया जाता है तो गांव के इसी दाएं कुएं से पूजा अर्चना कर लीला का शुभारंभ किया जाता है। भगवान को पवित्र स्नान भी इसी कुएं के पवित्र जल से करवाया जाता है । इसके अतिरिक्त पांडव लीला के समापन अवसर पर गांव के दूसरे बाएं भाग में स्थित कुएं में पांडवों के हथियारों का विसर्जन किया जाता है।

हंसकोटी गांव की बसावट भी निर्माणशिल्प एवं पाषाण कला की दृष्टि से अपने आप में एक विशिष्ट स्थान रखती है। यहां सूर्योदय से सूर्यास्त तक सूर्य की स्थिति एक जैसी बनी रहती है।गांव के नीचे बागेश्वर के पिंडारी ग्लेशियर से निकलने वाली कलकल निनाद कर बहती पिंडर नदी गांव के सौंदर्य में चार चांद लगा देती है। नारायणबगड़ क्षेत्र में ही हंसकोटी से लगभग 25-30 किमी0 की दूरी पर भगवान खांखरेश्वर महादेव का पवित्र एवं भव्य मंदिर खांखरखेत नामक स्थान पर अवस्थित है जो क्षेत्रवासियों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है ।

आदि शंकराचार्य कालीन हंसकोटी गांव की ये सभी जलकूपिकाएं निर्माण व पाषाण शैली की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ एवं अत्यंत ही समृद्ध हैं।

प्रेरणा स्रोत:श्री भीष्म कुकरेती जी जसपुर ढांगू हाल निवासी मुम्बई।

सूचना सहयोग एवं छायाचित्र साभार:-श्री विजेन्द्र मानेशा जी की फेसबुक वाल से ।

आलेख :विवेकानंद जखमोला 🌾 शैलेश 🌾 गटकोट सिलोगी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड 🙏

Posted 53 minutes ago by लगूली उत्तरखंड की